मुंबई। बीते हफ्ते शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद हुए, जिसका प्रमुख कारण वित्तीय घाटे की बढ़ती चिंता है। क्योंकि देश का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2017-18 के प्रथम सात महीनों में ही पूरे साल के बजटीय लक्ष्य का 96.1 फीसदी तक पहुंच चुका है, जो 5.25 लाख करोड़ रुपए है। जबकि पूरे वर्ष का लक्ष्य 5.46 लाख करोड़ रुपए निर्धारित किया गया है।
हालांकि गुरुवार को जारी जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के आंकड़ों में 30 मई को समाप्त चालू वित्त वर्ष (2017-18) की दूसरी तिमाही में इसमें 6.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। चालू वित्त वर्ष (2017-18) की पहली तिमाही में जीडीपी में 5.7 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई थी।
बीते सप्ताह पांच कारोबारी सत्रों में से चार में सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट दर्ज की गई और सेंसेक्स 33,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे चला गया। साप्ताहिक आधार पर सेंसेक्स में 846.30 अंकों या 2.51 फीसदी गिरावट दर्ज की गई और यह 32,832.94 पर बंद हुआ।
वहीं, निफ्टी 267.90 अंकों या 2.58 फीसदी की गिरावट के साथ 10,121.80 पर बंद हुआ। बीएसई का मिडकैप सूचकांक 177.05 अंकों या 1.05 फीसदी गिरावट के साथ 16,757.27 पर बंद हुआ, जबकि स्मॉलकैप सूचकांक 7.07 अंकों या 0.04 फीसदी की गिरावट के साथ 18,017.48 पर बंद हुआ।
सोमवार को बाजार में हल्की तेजी का दौर रहा और सेंसेक्स 45.20 अंकों या 0.13 फीसदी की तेजी के साथ 33,724.44 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 9.85 अंकों या 0.09 फीसदी की तेजी के साथ 10,399.55 पर बंद हुआ। मंगलवार को सेंसेक्स 105.85 अंकों या 0.31 फीसदी की गिरावट के साथ 33,618.59 पर तथा निफ्टी 29.30 अंकों या 0.28 फीसदी गिरावट के साथ 10,370.25 पर बंद हुआ।
बुधवार को शेयर बाजारों में एक बार फिर गिरावट दर्ज की गई और सेंसेक्स 15.83 अंकों या 0.05 फीसदी की गिरावट के साथ 33,602.76 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 8.95 अंकों या 0.09 फीसदी गिरावट के साथ 10,361.30 पर बंद हुआ।
गुरुवार को सेंसेक्स में तेज गिरावट दर्ज की गई और यह 453.41 अंकों 1.35 फीसदी गिरावट के साथ 33,149.35 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 134.75 अंकों या 1.30 फीसदी गिरावट के साथ 10,226.55 पर बंद हुआ।
शुक्रवार को राजकोषीय घाटे के आंकड़े जारी होने के बाद सेंसेक्स 316.41 अंकों या 0.95 फीसदी गिरावट के साथ 32,832.94 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 104.75 अंकों या 1.02 फीसदी गिरावट के साथ 10,121.80 पर बंद हुआ। बीते सप्ताह सेंसेक्स के तेजी वाले शेयरों में मारुति सुजुकी (1.41 फीसदी) और कोल इंडिया (0.42 फीसदी) रहे।
सेंसेक्स के गिरावट वाले शेयरों में प्रमुख रहे -टाटा मोटर्स (6.07 फीसदी), महिंद्रा एंड महिंद्रा (1.77 फीसदी), हीरो मोटोकॉर्प (1.31 फीसदी), बजाज ऑटो (2.44 फीसदी), एलएंडटी (0.30 फीसदी), सन फार्मा (4.12 फीसदी), सिप्ला (2.80 फीसदी), डॉ. रेड्डी (2.97 फीसदी), ल्यूपिन (1.93 फीसदी), विप्रो (1.06 फीसदी), टीसीएस (2.16 फीसदी), इंफोसिस (5.09 फीसदी), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (5.93 फीसदी), आईसीआईसीआई बैंक (3.72 फीसदी), कोटक महिंद्रा बैंक (2.76 फीसदी), एक्सिस बैंक (2.06 फीसदी) और एचडीएफसी बैंक (0.16 फीसदी)।
व्यापक आर्थिक मोर्चे पर रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) ने शुक्रवार (24 नवंबर) को भारत की संप्रभु रेटिंग को स्थिर दृष्टिकोण के साथ बीबीबी माइनस (नकारात्मक) पर बरकरार रखा है।
एजेंसी ने एक बयान में कहा कि एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग यह पुष्टि करता है कि भारत की इसकी अयाचित दीर्घ और अल्पकालिक विदेशी और स्थानीय मुद्रा संप्रभु क्रेडिट रेटिंग बीबीबी-ए/ए-3 है, तथा दृष्टिकोण स्थिर है।
एजेंसी ने कहा है कि स्थिर दृष्टिकोण इस विचार को दर्शाता है कि अगले दो सालों में भारत में विकास दर में तेजी आएगी, भारत अपने बाहरी खातों की स्थिति मजबूत बनाए रखेगा, तथा वित्तीय घाटा हमारे अनुमान के आसपास ही रहेगा।
हालांकि एजेंसी ने कहा है कि अगर बड़े सुधार हुए तो भारत की रेटिंग बेहतर होगी, लेकिन वित्तीय घाटा बढ़ा तो रेटिंग घटने का खतरा भी बढ़ जाएगा। इतना ही नहीं एजेंसी ने कहा है कि जीडीपी में गिरावट आई तो रेटिंग कम हो सकती है।
वित्त मंत्रालय ने ट्वीट किया कि भारत की रेटिंग देश की मजबूत जीडीपी विकास दर, बाहरी प्रोफाइल और मौद्रिक विश्वसनीयता में सुधार को प्रतिबिंबित करती है। यह ताकत देश की कम प्रति व्यक्ति आय और सरकार द्वारा तरल संपत्तियों की तुलना में लिया गया अपेक्षाकृत उच्च सामान्य कर्ज से संतुलित हो जाता है।
देश का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2017-18 के प्रथम सात महीनों में ही पूरे साल के बजटीय लक्ष्य का 96.1 फीसदी तक पहुंच चुका है, जो 5.25 लाख करोड़ रुपए है। जबकि पूरे वर्ष का लक्ष्य 5.46 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है। महालेखा नियंत्रक द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले वर्ष की समान अवधि में राजकोषीय घाटा कुल लक्ष्य का 79.3 फीसदी था।
सीजीए के आंकड़ों के मुताबिक, समीक्षाधीन अवधि में कर से प्राप्त राजस्व 6.33 लाख करोड़ रुपए रहा है, जो कि अनुमान का 51.6 फीसदी है। वित्त वर्ष के प्रथम सात महीनों के दौरान राजस्व और गैर-ऋण पूंजी से सरकार को कुल 7.67 लाख करोड़ रुपए की प्राप्ति हुई, जो कि वर्तमान वित्त वर्ष के अनुमान का 48 फीसदी है।
आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल से अक्टूबर की अवधि में कुल राजस्व और पूंजी पर खर्च 12.92 लाख करोड़ रुपए या पूरे वित्त वर्ष के लिए बजटीय लक्ष्य का 60.2 फीसदी रहा।
वित्त वर्ष 2017-18 के लिए कुल 5.46 लाख करोड़ रुपए के राजकोषीय घाटे (राजस्व और खर्च के बीच का अंतर) का अनुमान लगाया गया है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 5.34 लाख करोड़ रुपए था।
लगातार पांच तिमाहियों की सुस्ती के बाद देश की अर्थव्यस्था ने रफ्तार पकड़ी है। विनिर्माण के क्षेत्र में तेजी आने से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 30 मई को समाप्त चालू वित्त वर्ष (2017-18) की दूसरी तिमाही में 6.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। चालू वित्त वर्ष (2017-18) की पहली तिमाही में जीडीपी में 5.7 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई थी।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, 30 सितंबर को समाप्त हुई दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी 6.3 फीसदी वृद्धि दर के साथ 31.66 लाख करोड़ रुपए दर्ज की गई।
सीएसओ के आकलन के अनुसार चालू वित्त वर्ष (2017-18) में सकल मूल्य वर्धित (जीवीए), जिसमें कर शामिल होता है लेकिन सब्सिडी शामिल नहीं होती है, के आधार पर भारत ने छह फीसदी से ज्यादा जीडीपी वृद्धि दर रहने की मुख्य वजह विनिर्माण, बिजली, गैस, जलापूर्ति और अन्य उपयोगिता संबंधी सेवाओं एवं व्यापार, होटल, परिवहन व संचार और प्रसारण से संबंधित सेवाओं के क्षेत्र में तेजी को बताया है।
वहीं, कृषि, वानिकी और मछली, खनन व खदान, निर्माण, वित्त, बीमा, अचल संपत्ति और पेशेवर सेवाएं और लोक प्रशासन, रक्षा व अन्य सेवाओं के क्षेत्र में आर्थिक विकास दर इस साल की दूसरी तिमाही में क्रमश: 1.7 फीसदी, 5.5 फीसदी, 2.6 फीसदी, 5.7 फीसदी और छह फीसदी दर्ज की गई है।
मुख्य सांख्यिकीविद टीसीए अनंत ने आंकड़ों का विवरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि घटती विकास दर की प्रवृत्ति में बदलाव उत्साह का द्योतक है। जीडीपी में हालिया गिरावट वित्त वर्ष 2015-16 की चौथी तिमाही में शुरू हुई थी। इसलिए पिछले साल की वृद्धि दर 7.2 फीसदी के मुकाबले चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 6.3 फीसदी की जीडीपी वृद्धि उत्सावर्धक है।
उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष की प्रथम तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर 1.2 फीसदी थी, जो दूसरी तिमाही में बढ़कर सात फीसदी हो गई। समीक्षाधीन तिमाही में कृषि विकास दर 1.7 फीसदी रही। इसकी वजह फसलों के उत्पादन में थोड़ी कमी रही, जबकि पिछले साल मानसून अच्छा रहने से कृषि पैदावार अच्छी हुई थी।
उनका कहना था कि जुलाई में वस्तु एवं सेवा कर के लागू होने के बाद दूसरी तिमाही में जीवीए की गणना में कई अनिश्चितताएं रहीं और संशोधित आकलन में जीएसटी के अंतिम आंकड़े आने पर अप्रत्यक्ष करों के संग्रह में बढ़ोतरी दर्ज हो पाई।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जीडीपी के आंकड़ों में वृद्धि पर टिप्पणी करते हुए पत्रकारों से कहा कि नोटबंदी और जीएसटी जैसे दो ढांचागत सुधारों का यह प्रभाव है।
उन्होंने कहा कि समीक्षाधीन तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर में बदलाव से जाहिर है कि सुधारों का विनिर्माण क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उनका कहना था कि स्थिर पूंजी निर्माण के आंकड़ों से जाहिर है कि वास्तव में निवेश बढ़ रहा है।