वॉशिंगटन। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने कहा कि अमेरिका जलवायु परिवर्तन से लेकर समुद्री सुरक्षा तक विविध वैश्विक समस्याओं के समाधान में भारत द्वारा निभाई जा रही अहम एवं प्रभावशाली भूमिका का स्वागत करता है।
व्हाइट हाउस में दक्षिण एशिया के लिए ‘प्वाइंट पर्सन’ पीटर लावोय ने कहा, ‘‘हम भारत का स्वागत इसलिए नहीं करते क्योंकि यह अहम एवं संगत है बल्कि इसलिए करते हैं क्योंकि हम नियम आधारित व्यवस्था के मानकों को अक्सर प्रोत्साहित करते हैं और उनमें साझेदारी करते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत जलवायु परिवर्तन एवं वैश्विक स्वास्थ्य से लेकर शांतिरक्षा, समुद्री सुरक्षा एवं साइबर शासन तक विविध वैश्विक मामलों में जो अहम एवं प्रभावशाली भूमिका निभा रहा है, अमेरिका उसका स्वागत करता है।’’ लावोय ने कहा कि भारत और अमेरिका की साझेदारी पिछले आठ वर्षों में काफी मजबूत हुई है लेकिन अभी और भी बहुत कुछ होना बाकी है।
उन्होंने भारत एवं अमेरिका के संबंधों के जीवंत आयामों को रेखांकित करते हुए कहा, ‘‘हम अगली टीम को भारत के साथ एक बड़ी रक्षा साझेदारी सौंप रहे हैं।’’ राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद :एनएससी: में दक्षिण एशिया के वरिष्ठ निदेशक लावोय ने ‘सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज’ (सीएसआईएस) में कहा, ‘‘पहले नंबर पर क्षेत्रीय मामलों पर सहयोग बढा. दूसरे नंबर पर रक्षा व्यापार में सहयोग मजबूत हुआ और तीसरे नंबर पर सुरक्षा साझीदारी व्यापक हुई।’’ उन्होंने कहा कि ओबामा प्रशासन के पिछले छह साल में जोखिमों, खतरों एवं अवसरों संबंधी विचारों को लेकर आपसी सहमति बढ़ी है।
लावोय ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों ने अपने सामने आनी वाली चुनौतियों पर बातचीत में सहयोग की आदत विकसित की है। उन्होंने कहा कि इस सहयोग ने जिन तीन क्षेत्रों में अच्छी लय पकड़ी है, वे अफगानिस्तान, एशिया प्रशांत एवं अफ्रीका हैं।
लावोय ने कहा कि समुद्री सुरक्षा दोनों देशों के बीच सहयोग का अहम क्षेत्र है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका ने अफगानिस्तान में अपने साझे हितों पर भारत के साथ विचार विमर्श में काफी बढ़ोतरी की है. लावोय ने कहा कि भारत ने युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में स्थिरता एवं समृद्धि लाने के सामूहिक प्रयासों में दो अरब डॉलर से अधिक राशि की सहायता देने की प्रतिबद्धता जताकर अहम भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में अमेरिकी बलों के कमांडर भारतीय नेताओं के साथ वार्ता करने के लिए अब नियमित रूप से नई दिल्ली जाते हैं. उन्होंने कहा कि यह कहना उचित होगा कि अमेरिकी इतिहास के अन्य किसी भी दौर की तुलना में अमेरिका एवं भारत के रक्षा संबंध पिछले आठ वषरें में अधिक परिपक्व हुए हैं।
व्हाइट हाउस के अधिकारी ने कहा, ‘‘विश्व में ऐसा कोई अन्य देश नहीं है जिसे हम उभरते वैश्विक रक्षा नेता के तौर पर इस तरीके से समर्थन दे रहे हैं. यह अनूठा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे इतिहास में हमने किसी अन्य देश के किसी स्वदेशी विमान कार्यक्रम को समर्थन नहीं दिया है।’’ लावोय ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ भारत एवं अमेरिका का सहयोग एक वृहद सामरिक साझेदारी का अहम स्तंभ बन गया है।
उन्होंने कहा कि यह उपयुक्त है क्योंकि अमेरिका एवं भारत आतंकवादी कृत्यों को वैश्विक शांति एवं सुरक्षा के लिए ही खतरा नहीं समझते बल्कि वे इसे हर नागरिक की सुरक्षा, कानून के शासन, न्याय एवं लोकतंत्र के अपने साझे मूल्यों के लिए भी खतरा मानते हैं।