लखनऊ। विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को मिली करारी हार ने जहां उसके नेताओं को आत्मचिन्तन करने के लिए मजबूर कर दिया है, वहीं नोएडा से जुड़े अन्धविश्वास को लेकर भी एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं।
दरअसल पांच साल के कार्यकाल के दौरान अखिलेश यादव नोएडा आने से परहेज करते रहे। उन्होंने पड़ोसी जनपद गाजियाबाद का तो दौरा किया, लेकिन यहां नहीं आए। इसके पीछे यहां आने वाले मुख्यमंत्री का दोबारा सत्ता में नहीं आने का मिथक रहा। हालांकि इसके बावजूद अखिलेश का दोबारा मुख्यमंत्री बनने का सपना अधूरा ही रह गया।
सियासत में नेताओं के विश्वास और अन्धविश्वास से जुड़े कई अलग-अलग किस्सें और घटनायें हैं, लेकिन नोएडा के बारे में लगभग सभी मुख्यमंत्रियों की राय एक जैसी है। यही वजह है कि अपने कार्यकाल में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों का दौरा वाले मुख्यमंत्री नोएडा आना उचित नहीं समझते।
यहां तक की नोएडा से जुड़ी परियोजनाओं का विभिन्न मौकों पर दिल्ली या लखनऊ से लोकार्पण-शिलान्यास किया गया। दरअसल नोएडा से जुड़ा यह अन्धविश्वासस सबसे पहले 1988 में सामने आया, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह नोएडा आए और विधानसभा चुनाव में उन्हें सत्ता से बाहर होना पड़ा।
इसके बाद कुछ ऐसा ही वाकया विभिन्न मौकों पर नारायण दत्त तिवारी, कल्याण सिंह और मुलायम सिंह यादव के साथ हुआ। इतना ही नहीं इसी तरह जब मायावती मुख्यमंत्री के तौर पर नोएडा में दलित प्रेरणा स्थल का उद्घाटन करने पहुंची तो चुनाव बाद उन्हें भी सत्ता से बेदखल होना पड़ा।
इसके बाद नेताओं के बीच नोएडा का खौफ इस कदर फैल गया कि उन्होंने यहां आने से दूरी ही बना ली। यहां तक की चुनावी महासमर में भी किसी मुख्यमंत्री ने नोएडा जाकर जनसभा नहीं की। अगर अखिलेश यादव की बात करें तो मुख्यमंत्री रहते उनके विकास रथ यात्रा के दौरान दिसम्बर 2016 में नोएडा आने को लेकर पूरी तैयारियां कर ली गई थी।
तब अखिलेश को नोएडा में विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन करना था। इसके अलावा उनका जनसभा भी सम्बोधित करने का भी कार्यक्रम था। हालांकि अखिलेश यादव ने ऐन वक्त पर अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया और लखनऊ से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए परियोजनाओं का उद्घाटन किया।
बावजूद इसके चुनावी महासमर में उन्हें सत्ता से रूखसत होना पड़ा। ऐसे में यह चर्चा अभी से उठने लगी है कि भाजपा का नया सीएम क्या पूर्ववर्ती मुख्यमंत्रियों की तरह नोएडा आने से परहेज करेगा या फिर इस अन्धविश्वास को दरकिनार कर नई परिपाटी लिखेगा और राजस्व देने के मामले में अग्रणी नोएडा की धरती पर सीएम के पांव पड़ेंगे।
यह चर्चा इसलिए भी है, क्योंकि गौतमबुद्धनगर की तीनों विधानसभा सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है। वहीं नोएडा से तो केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह पहली बार विधायक बनने में कामयाब हुए हैं। इसी तरह दादरी से पार्टी प्रत्याशी तेजपाल नागर और जेवर से धीरेन्द्र सिंह विधानसभा पहुंचने में सफल रहे हैं।