कारों की खबरों, चर्चाओं और फीचर लिस्ट में अक्सर ही आपने क्रूज़ कंट्रोल का नाम तो सुना होगा, इंपोर्टेड लग्ज़री कारों से अपना सफर शुरू करने वाला यह फीचर धीरे-धीरे हर सेगमेंट की कारों में अपनी जगह बना चुका है। भारत की बात करें तो यहां पोलो हैचबैक, कॉम्पैक्ट सेडान एमियो, होंडा सिटी सेडान और महिन्द्रा स्कॉर्पियो एसयूवी में यह फीचर आता है। हालांकि अभी भी यह फीचर टॉप वेरिएंट में ही मिलता है यानी इसके लिए आपको अपनी ज़ेब थोड़ी और ढीली करनी होगी तो आखिर क्या बला है ये क्रूज़ कंट्रोल और क्या फायदा होता है इस फीचर से, क्यों इसे तवज्जो दी जाए और क्यों इसे छोड़ दिया जाए, इन सब सवालों के जवाब जानेंगे यहां सबसे पहले, क्रूज़ कंट्रोल आखिर क्या है ?
क्रूज़ कंट्रोल एक ऐसा फीचर है, जिसे ऑन करने के बाद आपको एक्सीलेरेटर पैडल पर पैर रखने की जरूरत नहीं होती है। इस फीचर को ऑन करते वक्त आपको कार की स्पीड सेट करनी होती है, इसके बाद आप अपना पैर एक्सीलेरेटर पैडल से हटा सकते हैं, अब क्रूज़ कंट्रोल की मदद से ही आपकी कार निर्धारित स्पीड पर खुद चलने लगती है। हालांकि जैसे ही आप ब्रेक लगाएंगे, क्रूज़ कंट्रोल फंक्शन अपने आप बंद हो जाएगा, दोबारा इस्तेमाल करने के लिए इसे फिर से ऑन करके स्पीड सेट करनी होगी।
क्रूज़ कंट्रोल के फायदे
आमतौर पर क्रूज़ कंट्रोल का इस्तेमाल 50 किमी प्रति घंटा से ऊपर की स्पीड पर ही होता है। हाइवे पर इसका अच्छा इस्तेमाल होता है, लम्बी दूरी पर जाने के दौरान यह ड्राइवर को थकान से मुक्ति दिलाता है और कार माइलेज़ भी अच्छा देती है। अगर आपकी हाइवे ड्राइविंग काफी ज्यादा है और एक शहर से दूसरे शहर के चक्कर काफी लगते हैं तो आपके लिए क्रूज़ कंट्रोल फंक्शन वाली कार लेना फायदेमंद रहेगा।
भारतीय ट्रैफिक के लिहाज़ से यह कितना मुफीद है?
भारत की सड़कों और यहां के ट्रैफिक के हालात किसी से छुपे नहीं हैं। सरकारी रिपोर्ट बताती हैं कि साल 2015 में सड़क हादसों में 1.40 लाख से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवांई, ऐसे में यह सवाल उठता है कि ट्रैफिक के जो हाल हमारे यहां हैं उन के हिसाब से यह फीचर काम का साबित होगा या नहीं ?
बेशक, क्रूज़ कंट्रोल काफी अच्छा फीचर है लेकिन इसके लिए आपको खुली सड़कें और व्यवस्थित ट्रैफिक वाला शहर मिलना चाहिये, ऐसी आदर्श स्थिती भारत में तो शायद ही कहीं मिले, यह फीचर ड्राइवर की थकान कम करता है लेकिन उसे सड़क पर अपना ध्यान लगाए रखना होता है। यहां के हिसाब से सिटी ड्राइविंग में क्रूज़ कंट्रोल ज्यादा मददगार नहीं है क्योंकि अक्सर ही ड्राइवर को ब्रेक लगाने पड़ते हैं और ऐसे में बार-बार क्रूज़ कंट्रोल को सेट करना झंझट भरा साबित हो सकता है। विदेशों में लोग सिटी ड्राइविंग में भी इसे इस्तेमाल करते हैं, वहां सड़कें भी अच्छी हैं और लोग सख्त ट्रैफिक नियमों का गंभीरता से पालन करते हैं।
तो फिर मैं क्या करूं… इस फीचर को लूं या छोड़ दूं
आजकल के ग्राहक पहले से कहीं ज्यादा जागरूक हैं, ज्यादातर लोग एडवांस और ज्यादा फीचर वाली कार खरीदने को प्राथमिकता देते हैं और इसके लिए थोड़ा ज्यादा खर्च करने में भी हिचकिचाते नहीं हैं। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि ज्यादा खर्च के बाद आपने जो फीचर लिया है उसे आप कितना इस्तेमाल कर पाते हैं, उदाहरण के लिए एसयूवी लेने वाले ग्राहक चुनते तो 4×4 वर्जन हैं लेकिन इस फीचर को वे शायद ही इस्तेमाल कर पाते हों क्योंकि ज्यादातर वक्त तो उनकी कारें शहर की सड़कों पर ही दौड़ती हैं, कुछ ऐसा ही मामला क्रूज़ कंट्रोल के साथ भी है, अगर आपकी ज्यादातर ड्राइविंग एक शहर के अंदर ही होती है तो फिर क्रूज़ कंट्रोल आपके बहुत काम नहीं आएगा, अगर आपकी हाइवे ड्राइविंग ज्यादा है तो फिर आप को थोड़ा ज्यादा खर्च कर इसे चुनना चाहिये क्योंकि यह आपकी ड्राइविंग को आसान बनाएगा।
हालांकि इस फीचर के इस्तेमाल में सावधानी बरतने की काफी जरुरत होती है। यह लम्बी यात्रा में थकावट जरूर कम करता है, लेकिन सुरक्षा के लिए तो आपको ही अलर्ट रहना होगा।
साआभार : कार देखो
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