Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मायने ये तो नहीं... - Sabguru News
Home India City News अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मायने ये तो नहीं…

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मायने ये तो नहीं…

0
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मायने ये तो नहीं…
what is the meaning of freedom of expression
what is the meaning of freedom of expression
what is the meaning of freedom of expression

पाली। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अधिकार एवं सीमाएं विषय पर विश्व भारती युवा संगठन के महासचिव अनिकेत काले ने अपने उद्वोधन में कहा कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता स्वप्राप्त और प्राचीनकाल से चली आ रही है।

भारत की महान संस्कृति ने चारवाक्य दर्शन में कहा गया है कि पुर्नजन्म नहीं होता, यह जीवन एशोआराम से जीना चाहिए, ऐसा कहने वाले को भी ऋषि कहा जाता है। इस विचार को भी सम्मान ​दिया गया।

संविधान गढते समय 26 जनवरी 1949 में डाक्टर भीमराव अम्बेडकर ने कहा था कि भारत का संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार तो देता है साथ ही प्रत्येक नागरिक के कुछ दायित्व भी निर्धारित करता है।

संविधान की अपनी सीमाएं हैं। इसे समाजवादी तथा कम्युनिस्ट कभी स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि वे भारत के एकल संघीय ढ़ांचे में विश्वास व्यक्त नहीं कर सकते।

what is the meaning of freedom of expression
what is the meaning of freedom of expression

काले ने कहा कि मैं प्रत्यक्षदर्शी हूं कि नौ फरवरी को जो दिल्ली की जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी में सांस्कृतिक संध्या आयोजन के नाम पर देश की संसद पर हमला करने के जुर्म में फांसी चढाए गए अफजल गुरु के लिए छात्रों ने श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया।

इस दौरान देश विरोधी नारे लगवाए। सच तो ये है वहां एकत्रित होने वाले सभी छात्रों को ऐसे कार्यक्रम की संपूर्ण जानकारी भी नहीं थी। जेनयू में लगभग 8,500 छात्र अध्ययन कर रहे हैं उसमें में से मात्र 1100 वोट पाकर जीत हासिल करने वाले कन्हैया कुमार के नेतृत्व में तथा छह सौ पचास प्रोफसर में से तीन सौ कम्युनिस्ट विचारधारा के प्रोफसर में से कुछ ने इसका समर्थन किया।

इस घटना से संपूर्ण देश को कम्युनिस्ट विचारों का घिनौना चेहरा देखने का मिला। पुलिस व सरकार अपने स्वयं के सबूतों के आधार पर कार्यवाही कर रही है। उन्होंने कहा कि अड़तालीस घंटे तक यूनिवर्सिटी के दरवाजे के बाहर सीमा सुरक्ष बल के जवान खड़े रहे ताकि देश में गलत संदेश न जाए की छात्रों पर अत्याचार हो रहा है।

कुछ राष्ट्रविरोधी लोगों द्वारा कुछ भ्रामक वीडियो अपलोड किए गए जिससे दूसरे गुटों पर आक्षेप लगाये जा सकें। काले ने कहा कि यह केवल दिल्ली की यूनिवर्सिटी में ही नहीं वरन् देश की अठारह यूनिवर्सिटी में अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र के तहत चलाया जा रहा है। देश की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खराब करने की साजिश रचि जा रही है।

जेएनयू मामले में दोषी छात्रों एवं प्राध्यापकों पर भी केस दर्ज किया गया है और मामला न्यायलय में विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक युवा को इस विषय का भारत के प्रत्येक नागरिक तक पहुंचाना चाहिए। ये भारत के टुकड़े करने वाले कम्युनिस्ट छात्र संघठनों के जरिए अपने घिनौने षडयंत्र को जन जन तक पहुंचाना चाह रहे हैं।

हर व्यक्ति को भारत की अखंडता में अपना प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष योगदान अवश्य देना चाहिए। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नगर संघ चालक नेमीचंद अखावत, नगर परिषद के सभापति महेन्द्र बोहरा, पूर्व सांसद पुष्प जैन, उप सभापति मूलसिंह भाटी, मास्टर शंकरलाल जोशी, अनिल भंडारी, निमित लश्करी, हनुमानसिंह चौहान, जितेन्द्र गहलोत, परमेश्वर जोशी, हरिगोपाल सोनी, निशांत दवे, भुवन दवे, जयशंकर त्रिवेदी, केके सिंहल, निखिल व्यास, प्रेमसिंह शेखावत आदि उपस्थित थे।