नई दिल्ली। दिल्ली के उप-राज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा गुरुवार को सुनाया गया फैसला कोई जीत नहीं बल्कि संवैधानिक वैधता का मामला है।
उप-राज्यपाल नजीब जंग ने गुरुवार को पहली बार केजरीवाल सरकार के खिलाफ संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मैंने हमेशा कहा कि वक्त आने दे, तुझे बता दूंगा-ए-आसमां।
उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले से स्पष्ट है कि दिल्ली सरकार द्वारा अब तक जारी सभी आदेश और नोटिफिकेशन जो उपराज्यपाल की अनुमति के बिना जारी किए थे, स्वयं ही रद्द हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि सर्विसेज से जुड़े मामलों में भी उपराज्यपाल का फैसला अंतिम होगा। वह दिल्ली सरकार के मंत्रियों की सलाह मानने के लिए बाध्य नहीं है ये बात उच्च न्यायालय के फैसले के बाद साफ हो गई है।
जंग ने कहा कि सीएनजी घोटाला और डीजीएसीए मामले में बिना मेरी सहमित के जांच कमेटी बनाई गई। इसके अलावा जंग ने कहा कि केजरीवाल के आवास के बाह धरने-प्रदर्शन पर रोक और धारा-144 लागू करने के आदेश देने का अधिकार एसडीएम को नहीं है।
भाजपा ने किया सरकार के अधिकारों पर हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत
भाजपा ने दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों की लडाई पर हाईकोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए इसका स्वागत किया है।
हाई कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है और एलजी ही दिल्ली का प्रशासनिक मुखिया है। दिल्ली सरकार को जांच आयोग बनाने का अधिकार नहीं है और दिल्ली सरकार की सलाह पर काम करने के लिए एलजी बाध्य नहीं हैं।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा कि आज का दिन दिल्ली की जनता के हित में एक स्वर्णिम दिन बना है क्योंकि उच्च न्यायालय ने विगत डेढ़ वर्ष से दिल्ली में चल रही प्रशासकीय अराजकता पर विराम लगा दिया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा उम्मीद लगाती है कि अरविन्द केजरीवाल सरकार या तो इस निर्णय को स्वीकार कर दिल्ली में एक स्वस्थ्य प्रशासन देने की ओर ध्यान देगी या फिर इस्तीफा देकर दिल्ली की जनता को अपने भविष्य का निर्णय लेने के लिए मौका देगी।
उन्होंने कहा कि आज के इस निर्णय ने स्पष्ट कर दिया है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल को विपासना की नहीं संविधान का 10 दिन क्रैस कोर्स करने की आवश्यकता है।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि आज के फैसले के बाद केजरीवाल सरकार यह स्वीकार करेगी कि वह केन्द्र शासित प्रदेश दिल्ली की प्रशासकीय व्यवस्था का भाग है और सही मायने में केन्द्र शासित राष्ट्रीय राजधानी ही दिल्ली की जनता और दिल्ली के विकास के हित में है।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल को आज के फैसले को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाना चाहिए, इसे मूंछ की लड़ाई न बनाएं और इसे दिल्ली के विकास पर ध्यान देने के एक नए मौके के रूप में देखें।