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डिजिटल दुनिया में आजकल छोटे से लेकर बुजुर्ग इसका इस्तेमाल करने लगा हैं।(VIDEO: कुत्ते ने पानी के बिना तड़पती मछली की जान बचाने की कोशिश) कई लोग सोशल मीडिया अकाउंट के एडिक्टेड होने लगे हैं। खासकर युवा जब तक अपना सोशल एकाउंट्स यानी वीचैट, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, व्हाट्सऐप चेक नहीं कर लेता बेचैनी होने लगती हैं। एक रिसर्च में खुलासा इस बेचैनी के पीछे का कारण।
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मनोवैज्ञानिक का मानना है कि अब यह एक लत नहीं ना रह कर एक बीमारी है। इस बीमारी का नाम उन्होंने दिया है डिजिटल डिटॉक्स। इस लत से मुक्त होने के लिए कई मनोवैज्ञानिक मोटी फीस वसूल कर रहे है।
पिछले कुछ वर्षो से सोशल मीडिया की लत की बीमारी तेजी से वृद्धि हुई है।(VIDEO: कैमरे में कैद हुई ऐसी अजीब घटनाएँ) लेकिन इसी तेजी से इससे छुटकारा पाने की तादाद भी बढ़ी है। ये रफ्तार सालाना बीस फीसदी की दर से बढ़ रही है।
आम सेहत के साथ साथ खूबसूरती के लिए भी लाभकारी
विशेषज्ञों का कहना है कि एक घंटे की फीस दस हजार रुपए है। और मरीज को उनसे करीब छह महीने तक इलाज कराना होता है, तब जाकर सोशल मीडिया की लत से छुटकारा मिलता है।
आपकी बीमारी इतनी गंभीर हो,(VIDEO: 8 ऐसे फेमस सेलिब्रिटीज जिनकी कुछ समय पहले हुई मत्यु) उससे पहले ही अगर आप सोशल मीडिया पर एक्टिव होने के कुछ उसूल बना लें, तो शायद ये बीमारी उतनी गंभीर न हो, जिसका खतरा मंडरा रहा है।
इन बातों का ध्यान दे नोज पियर्सिंग करवाने से पहले
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