कोलकाता। सोशल मीडिया के माध्यम से कई साल पहले बिछुड़े लोगों के आपस में मिलने की खबरें तो आपने सुनी ही होंगी, लेकिन इस बार शौकिया रेडियो सेवा हैम रेडियो ने याददाश्त खो चुकी तमिलनाडु की एक महिला को उसके परिवार से मिलाने का काम किया है।
यह महिला पश्चिम बंगाल के एक अस्पताल में पिछले चार साल से रह रही थी। चूंकि इसने अपनी याददाश्त खो दी थी, इसलिए वह अपनी पिछली जिंदगी के बारे में कुछ भी बता पाने में असमर्थ थी।
दोनों राज्यों में फैले हैम रेडियो संचालकों की मदद से विशालाक्षी जल्द ही 1500 किमी दूर तमिलनाडु के कृष्णपुरम गांव में अपने परिवार से मिलेंगी।
चार साल पहले स्थानीय लोग विशालाक्षी को उत्तरी 24 परगना जिले के बरासत जिला अस्पताल (इलाके की राजधानी कोलकाता से करीब 30 किलोमीटर दूर) में लाए थे। वह उन लोगों को इलाके में भटकती हुई मिली थीं।
अस्पताल की अध्यक्ष सुब्रता मंडल ने बताया कि वह शुरुआत में कुछ भी बताने में असमर्थ थी। वह हमारे साथ चार साल तक रहीं और उनका इलाज एक मानसिक रोगी के रूप में किया गया। हमने एक अनुवादक की भी व्यवस्था की, क्योंकि वह हिंदी या अंग्रेजी में बात करने में असमर्थ थी। हमने तमिलनाडु में स्थानीय पुलिस से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कुछ खास सफलता नहीं मिली।”
विशालाक्षी की स्मृति में जैसे ही सुधार हुआ, उन्होंने मंडल से अपने परिवार से संपर्क करने का अनुरोध किया। मंडल ने बताया कि जब उसकी स्थिति में सुधार हुआ और उन्होंने बीती बातों को याद करना शुरू किया, तो हमने हैम रेडियो से संपर्क करने का फैसला किया, क्योंकि पुलिस कोई खास मदद नहीं कर पाई।
उन्होंने कहा कि हमने वेस्ट बंगाल रेडियो क्लब (एमेच्योर क्लब) से संपर्क किया और उन्हें विशालाक्षी का एक वीडियो भेजा, जिसमें वह अपने बारे में बता रही थीं।
क्लब के प्रमुख अंबरीश नाग बिस्वास की नौ सदस्यों की टीम ने इस मामले में तमिलनाडु में अपने सहयोगियों से बात की। हैम रेडियो संचालक और इरोड में नांधा इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राध्यपाक पी. कल्याणसुंदरम ने आपात संचार के जरिए राज्य भर के हैम रेडियो ऑपरेटरों को अलर्ट किया।
कल्याणसुंदरम ने बताया कि हैम रेडियो और मोबाइल संचार की सहायता से एक गांव के प्रशासनिक अधिकारी तक यह सूचना पहुंची, जिसके बाद उन्होंने इस महिला के भाई का पता लगाया। तमिलनाडु के विभिन्न इलाकों के छह हैम रेडियो ने इस अभियान को पूरा किया।
इसके बाद विशालाक्षी ने अपने भाई से टेलीफोन पर बात की और उनकी पहचान की। हैम की सहायता से एक दुर्घटना का सुखद अंत हुआ।
कल्याणसुंदरम कहते हैं कि आपदा के वक्त जब सभी संचार सुविधाएं बंद हो जाती हैं, उस समय भी हैम सेवाएं चलती रहती हैं। हम उम्र, धर्म और देश के संदर्भ में कोई भेदभाव नहीं करते। सेवा ही हमारा लक्ष्य है और हैम रेडियो मानव जाति की सेवा के लिए है।