नई दिल्ली। दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1980 में चुनाव जीतने के बाद उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर के अपने दौरे के दौरान नाश्ते में जलेबी और मठरी की मांग कर प्रशासन को हैरान कर दिया था।
जिला न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा, जो बाद में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव भी बने, अभी-अभी जारी अपनी आत्मकथा में कहते हैं कि उनके कार्यकाल के दौरान गांधी ने तीन-चार बार मिर्जापुर का दौरा किया था।
मिश्रा अपनी किताब ‘इन क्वेस्ट ऑफ ए मीनिंगफुल लाइफ’ में कहते हैं कि उनकी पहली यात्रा पूरी तरह एक निजी यात्रा थी। मुझे सुबह बताया गया था कि वह शाम को यहां आने वाली हैं।
उन्होंने आगे कहा कि समय बहुत कम था, लेकिन हम उन्हें अष्टभुजा इंस्पेक्शन बंगले में आवास प्रदान करने में कामयाब रहे। मेरी पत्नी ने अपने हाथों से प्रधानमंत्री के कमरे को सजाया था। लेखक के अनुसार दौरे के दौरान गांधी ने रात को अष्टभुजा मंदिर में पूजा की और फिर बंगले में वापस आ गईं।
अगली सुबह उन्होंने नाश्ते के लिए जलेबी और अचार के साथ मठरी खाने की इच्छा जाहिर की।मिश्रा ने कहा कि मैं इस तरह की मांग के लिए तैयार नहीं था।
वह असहाय महसूस कर रहे थे, तभी उनके तहसीलदार स्वेच्छा से विंध्याचल क्षेत्र से जलेबी और मठरी लेकर आए। उन्होंने उलझन में फंसे जिलाधिकारी से कहा कि आप इन छोटी चीजों के लिए चिंता ना करें।
मिश्रा ने कहा कि तहसीलदार दौड़कर गए और देसी घी से तैयार गर्म जलेबी, मठरी और अचार लेकर आए। मैंने राहत की सांस ली। मुझे बाद में बताया गया कि प्रधानमंत्री देसी (स्थानीय) नाश्ता करके काफी खुश हुईं।
एक बार जब मिश्रा अष्टभुजा मंदिर की ओर जा रहे थे तब एक साधु ने तीर्थयात्रियों के लिए अच्छी सड़कों, बिजली और पीने के पानी की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए उनकी प्रशंसा की।
उन्होंने जिलाधिकारी से कहा कि तुम अच्छा काम कर रहे हो और मुझे विश्वास है कि एक दिन तुम उत्तर प्रदेश प्रशासन के प्रमुख बनोगे। मिश्रा ने कहा कि मैंने इन शब्दों को गंभीरता से नहीं लिया और प्रशासनिक जीवन की हलचल में इसे पूरी तरह भूल गया।
उन्होंने आगे कहा कि जब 2007 में मैं उत्तर प्रदेश प्रशासन का प्रमुख बन गया तब मुझे अचानक उस साधु की बात याद आई, जिसे सच होने में 24 साल लगे।
मिश्रा की किताब उनके पेशेवर जीवन के उपख्यानों से भरी हुई है। उन्होंने अभिमानी और भ्रष्ट लोगों के साथ अपने झगड़े के बारे में बताया है। उन्होंने यह भी बताया है कि कैसे नोएडा में अवैध तरीकों से जमीन पर कब्जा करने वालों का पर्दाफाश करने के तुरंत बाद ही उनका तबादला कर दिया गया था।