मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है जिस कारण वह चाहकर भी अकेले नहीं रह सकता। लोगों के सुख-दुख में काम आना प्रत्येक मनुष्य को अपना फर्ज मानना चाहिए। हम बीमार व्यक्ति की बीमारी नहीं ले सकते लेकिन उससे मिलने जाकर उसका कुछ दर्द तो कम कर ही सकते हैं। किसी के आने जाने से कोई बीमारी दूर नहीं होती लेकिन मरीज को संतुष्टि रहती है कि लोग मेरे साथ हैं। बहुत से ऐसे लोगों को देखा है जो रोगी से मिलते वक्त या बातें करते समय रोगी को दिलासा देने के बजाय स्वयं ही आंसू बहाना शुरू कर देते हैं जिससे मरीज को इस बात का आभास होने लगता है कि उसे कोई गंभीर बीमारी है और वह चिंतित तथा परेशान हो जाता है।
रोगी से मिलने जाते वक्त अपने चेहरे पर हल्की फुल्की मुस्कान लाकर ही जाएं।
रोगी से मिलने जाते वक्त उसके पसंदीदा फूल या फल ले जाना न भूलें।
रोगी को यदि किसी भी किस्म की गंभीर बीमारी है तो ध्यान रखें, इसकी भनक भी उसे न लगने पाए तथा रोगी को भी प्रसन्न रखने की कोशिश करें।
रोगी से मिलने जाते वक्त हो सके तो छोटे बच्चों को अपने साथ न लेकर जाएं।
रोगी के सामने बीमारी से होने वाली मौतों का जिक्र न करें, न ही कोई रोगों से संबंधित अन्य उदाहरण दें।
अक्सर देखने में आता है कि बीमारी के चलते रोगी चिड़चिड़ा हो जाता है। ऐसे में उसे कोई उपदेश न दें बल्कि उसकी प्रत्येक बात को ध्यानपूर्वक सुनें। रोगी के जल्दी ठीक होने की कामना करें।
साथ मिलकर करेंगे ये काम तो रिश्ता होगा मजबूत
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