नई दिल्ली। कांग्रेस ने सोमवार को ‘स्टेट आॅफ इकोनॉमी 2017’ शीर्षक रिपोर्ट पेश करते हुए का दावा है कि देश की अर्थव्यस्था अच्छी स्थिति में नहीं है।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, एनडीए सरकार अर्थव्यस्था को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने में यकीन रखती है लेकिन रेटिंग एजेंसियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था की साख घटा दी है।
कांग्रेस ने एक खास रणनीति के तहत बजट सत्र से एक दिन पहले देश के दो पूर्व वित्त मंत्रियों द्वारा ‘स्टेट आॉफ इकोनॉमी 2017’ नामक आर्थिक समीक्षा पेश की है। ये इकोनॉमिक सर्वे से पहले विपक्ष का रिपोर्ट कार्ड है।
इस दौरान पार्टी नेता राजीव गौड़ा ने कहा कि केंद्र द्वारा आर्थिक समीक्षा पेश किए जाने से पहले हमारी कोशिश है कि विपक्ष होने के नाते हम अपना आर्थिक आकलन पेश करें। वहीं पी चिदंबरम ने ‘स्टेट आॉफ इकोनॉमी 2017’ को पेश करते हुए कहा, यह रिपोर्ट कार्ड काफी रिसर्च के बाद जारी किया जा रहा है।
भाजपा जीडीपी के आंकड़े के पीछे छिप रही है। लोग इससे भ्रमित नहीं हो रहे, वे पूछ रहे हैं कि नौकरी कहां है। नया निवेश कहां है। एनडीए सरकार अर्थव्यस्था को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करने में यकीन रखती है। यह दस्तावेज (स्टेट ऑफ इकॉनमी) सच्चाई के करीब है।
उन्होंने सवाल किया कि व्यवसायों को बढ़ाने के लिए आखिर कैसे मदद की जा रही है। अगर सरकार कल अर्थव्यवस्था का आकर्षक चेहरा पेश करती है, तो लोगों के पास सवाल करने का अधिकार है। लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा, पूंजी निर्माण घटा है, क्रेडिट ग्रोथ भी कम हुआ है।
उन्होंने कहा केंद्र से सवाल करते हुए कहा कि देश में युवाओं के लिए सबसे बड़ी समस्या रोजगार की है। इससे पहले प्रधानमत्री मोदी अपनी हर रैली में हर युवा को 2 करोड़ नौकरियां दिलाने की बात करते रहे हैं। पिछले एक साल जो डेढ़ लाख नौकरियां देने की बात की जा रही थी वह कहां है? मोदी सरकार स्टार्टअप इंडिया की बात करती थी जो सच्चाई से कोसों दूर है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि आईएमएफ के मुताबिक भारत की विकास दर 6.6 फीसदी से कम है। कई अन्य एजेंसियों ने भी कुछ ऐसा ही अनुमान जताया है जिस पर मैं कुछ भी नहीं कहना चाहूंगा। लोग खुद अब आकंड़ेबाजी से अलग सवाल करते हैं।
उन्होंने कहा कि हम उम्मीद कर रहे थे कि एनडीए विकास दर बनाए रखेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके साथ ही मनमोहन सिंह ने भाजपा द्वारा उन पर और और वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम द्वारा लोन देने में विजय माल्या की मदद करने के आरोप पर सफाई देते हुए कहा कि मैंने जो किया वह नियमित प्रक्रिया का हिस्सा था, जिस चिट्ठी की बात की जा रही है, वह एक सामान्य चिट्ठी थी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और मंत्रियों को विभिन्न उद्योग के मालिकों की चिट्ठी मिलती है, जो कि संबंधित अथॉरिटी को आगे बढ़ा दिया जाता है। वहीं राजीव गौड़ा ने कहा कि बजट सत्र में केंद्र को यह भी बताना चाहिए कि पिछले दो सालों में कितनी रेल परियोजनाओं और सड़क परियोजनाओं पर काम किया गया है।
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी लगातार सड़कों के निर्माण की बात करते रहे हैं जबकि सच्चाई ये है कि हर दिन केवल 6 किमी. रोड का ही निर्माण किया गया। सर्व शिक्षा अभियान में भी सरकार की ओर से कोई इन्वेटमेंट नहीं किया है। रुपए की कीमत भी लगातार गिरती जा रही है। नोटबंदी ने सीधे जीडीपी ग्रोथ रेट को चोट किया है। जिसका परिणाम अगले तीन-चार सालों तक देखने को मिलेगा।