आज के टाइम ही फैशन को इग्नोर नहीं किया जा सकता। जमाने के साथ चलना है तो उसमें आ रहे बदलाव को स्वीकार करना ही होगा। लुक, फेशन और स्टाइल को लेकर गर्ल्स बहुत सीरियस रहती हैं। वे धडल्ले से न्यू स्टाइल में को अपनाने में पीछे नहीं रहतीं। आज हम उस गर्ल एवं लेडी की बात कर रहे हैं, जो ऊंची हील के जूते-सैंडल पहनती हैं।
अगर आप अपनी महिला मित्र के बारे में जानना चाहते हैं कि वो कितनी महत्वाकांक्षी है तो उसकी एड़ियों की तरफ देखें। शोधकर्ताओं के मुताबिक, एक महिला अगर ऊंची हील के जूते-सैंडल पहनती है तो यह समाज में रुतबा हासिल करने की गहरी मानवीय तीव्र इच्छा का ही प्रतीक है। इस शोध के निष्कर्षो से पता चला है कि महिलाएं स्थानीय प्रवृत्ति को अपनाती हैं यानी जब वो शहर के अमीर हिस्से में जाती हैं तो ऊंची हील पहनती हैं, लेकिन वो सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े इलाकों में जाती हैं तो इसे नजरअंदाज कर देती हैं।
अमेरिका के नार्थ केरोलीना विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर कुर्ट ग्रे का कहना है कि दूसरे शब्दों में कहें तो ज्यादातर महिलाएं अमीर दिखना चाहती हैं और वे गरीब लड़कियों से अलग दिखना चाहती हैं। जब महिला समृद्ध इलाकों में जाती है तो वह उन इलाकों की महिलाओं के हील के साइज से अपने हील के साइज का मेल करना चाहती हैं, जो उनकी समरूपता की तीव्र इच्छा को जाहिर करता है।
हाई हील पहनने वाली लड़कियों के सपने होते हैं बड़े-बड़े! अगर आप अपनी महिला मित्र के बारे में जानना चाहते हैं कि वो कितनी महत्वाकांक्षी है तो उसकी एड़ियों की तरफ देखें। एक शोध में पता चला है कि ऊंची हील की सैंडल पहनने वाली युवतियों के सपने बड़े होते हैं। हालांकि इसके विपरीत जब वे गरीब इलाकों की तरफ जाती हैं तो वे केवल अपने पिछली बार खरीदी गई सैंडल या जूते के साइज के साथ ही मेल करती हैं। शोधकर्ताओं ने इस असर को ‘नीचे की तरफ जाती समरूपता’ का नाम दिया है, क्योंकि फैशन की वरीयता ऊपर से नीचे जाती है और शायद ही कभी नीचे से ऊपर जाती दिखती हो।
यह शोध प्लोस वन नाम के जर्नल में प्रकाशित हुआ है। ग्रे इस बारे में आगे बताते हैं कि मानव सभ्यता की शुरुआत से ही लोगों में इज्जत और रुतबे की प्यास रही है। इसलिए वे शक्तिशाली के साथ खड़े होते हैं और शक्तिहीन से अपने को अलग करते हैं। तो हील के साइज के साथ भी ऐसा करना समझ में आता है।
लोगों की फैशन की यह आकांक्षा उन्हें अमीर और अधिक प्रभुत्व संपन्न दिखने के लिए प्रेरित करती है, और यह समाज में अमीर-गरीब के बीच बढ़ती खाई के साथ ही और बढ़ रही है। ग्रे कहते हैं कि पुरुषों में भी यही चलन है, खासतौर से जब वे कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स या कारें खरीदते हैं।
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