नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े सियासी परिवार समाजवादी पार्टी का चुनावी भविष्य सोमवार को तय हो सकता है।
सपा के कुनबे में चुनाव चिह्न ‘साइकिल’ को लेकर चल रही दावेदारी के मामले में बीते शुक्रवार को केंद्रीय चुनाव आयोग में सुनवाई के बाद माना जा रहा है कि चुनाव आयोग अपना फैसला देगा।
हालांकि मुलायम और अखिलेश गुट अपनी दावेदारी मजबूत मान रहे हैं लेकिन इसकी संभावना जताई जा रही है कि ‘साइकिल’ का चुनाव चिह्न जब्त हो जाए। मंगलवार से उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो रही है।
अखिलेश और मुलायम गुट के उम्मीदवार तो तय कर लिए गए हैं लेकिन उन्हें अब तक यही नहीं पता कि वोट मांगेंगे तो किस चिह्न पर। हालांकि दोनों गुटों ने प्लान बी भी तैयार कर लिया है कि साइकिल फ्रीज होने की दशा में पेड़ और खेत जोतता किसान जैसे चिह्न पर चर्चा हो चुकी है।
लेकिन यह भी तय है कि नए चुनाव चिह्न के साथ उतरना शायद ही किसी को रास आए। गौरतलब है कि मुलायम गुट ने यह तर्क पेश किया था कि पार्टी में टूट हुई ही नहीं है तो फिर चिह्न पर विवाद कैसा?
अखिलेश गुट ने तर्क दिया है कि पार्टी अधिवेशन में अखिलेश को अध्यक्ष चुना जा चुका है और उसके साथ बहुमत है। लिहाजा साइकिल पर उनका अधिकार है। पर सूत्रों की मानी जाए तो ऐसी स्थिति में चुनाव आयोग ऐसे विवादों पर बहुत जल्द फैसला नहीं लेता है।
दोनों पक्षों की ओर से एफिडेविट सौंपे गए हैं। अखिलेश गुट की ओर से डेढ़ लाख पन्नों का दस्तावेज दिया गया है जिसमें से कई दस्तावेजों पर मुलायम गुट ने संदेह जताया है। ऐसे में सभी दस्तावेजों की परख भी जरूरी है।
सूत्र बताते हैं कि ऐसे मामलों की पड़ताल और फैसले में कम से कम तीन महीने का वक्त लगता है। अगर यह मामला अपवाद न हुआ तो इसकी संभावना है कि साइकिल का चुनाव चिह्न जब्त हो जाए।