नई दिल्ली। केरल के सबरीमाला में अयप्पा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को लेकर सुप्रीमकोर्ट ने नाराजगी जताई है। साथ ही प्रश्न किया है कि आखिर महिलाएं क्यों मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती। मामले की अगली सुनवाई के लिए आगामी आठ फरवरी की तिथि निर्धारित की है।
सोमवार को सबरीमाला में अयप्पा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अगर किसी मंदिर को संवैधानिक अधिकार नहीं है तो वह महिलाओं के प्रवेश पर बैन नहीं लगा सकता।
जानकारी हो कि मंदिर में महिलाओं के प्रतिबंध के खिलाफ महिला वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि ये बैन उनके समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। जबकि मंदिर के बोर्ड ने दलील दी है कि ये प्रथा सालों से चली आ रही है और इसे लेकर केरल हाईकोर्ट ने भी मंदिर बोर्ड के पक्ष में फैसला सुनाया है।
दस से पचास के बीच आयु वर्ग की महिलाओं की सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। मामले की सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि धर्म के आधार को छोड़कर मंदिर प्रशासन महिलाओं या किसी और के प्रवेश पर पाबंदी नहीं लगा सकता, जब तक मंदिर को किसी तरह का संवैधानिक अधिकार प्राप्त न हो। हालांकि उच्चतम न्यायालय इस मामले में आगामी आठ फरवरी को सुनवाई करेगा।
इससे पहले गत वर्ष दिसम्बर माह सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मी शास्त्री ने भी मामले से संबद्ध एक याचिका उच्चतम न्यायालय में दायर की थी। याचिका में उन्होंने कहा था कि मंदिर में प्रवेश पर प्रतिबंध महिलाओं के संबद्ध धारा-14 (समानता का अधिकार), धारा-15 (लैंगिक विभेद), धारा-25 (धर्म की स्वतंत्रता) का साफ उल्लंधन करता हैं।