Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
वैवाहिक दुष्कर्म : कोई क्यों सहे दर्द चुपचाप? - Sabguru News
Home Breaking वैवाहिक दुष्कर्म : कोई क्यों सहे दर्द चुपचाप?

वैवाहिक दुष्कर्म : कोई क्यों सहे दर्द चुपचाप?

0
वैवाहिक दुष्कर्म : कोई क्यों सहे दर्द चुपचाप?

सबगुरु न्यूज। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल ने एक बार कहा था कि वैवाहिक दुष्कर्म जैसी कोई चीज नहीं होती, अगर ऐसा हुआ तो हमारे घर पुलिस थानों में तब्दील हो जाएंगे। उनकी बात मानना मीरा (बदला हुआ नाम) जैसी उन महिलाओं के घाव पर नमक छिड़कने जैसा होगा, जो शादी की आड़ में अपने साथ हो रहे दुष्कर्म की आदी हो चुकी हैं।

यह सिर्फ मीरा की कहानी नहीं है, बल्कि हमारे समाज में ऐसी लाखों मीरा हैं जो इस दर्द को चुपचाप पीए जा रही हैं। दिल्ली के पॉश इलाके में रहने वाली मीरा नाम उजागर न होने के आश्वासन पर बताती हैं कि शादी के 18 साल बाद भी पति की देह की भूख शांत करने का जरिया बनी हुई हूं। मुझसे पूछना तो दूर, मेरी भावनाओं तक का ध्यान नहीं रखा जाता। लेकिन कर क्या सकती हूं, मेरे पति हैं।

‘मैरिटल रेप’ को कानून के दायरे में लाकर इसे अपराध घोषित करने के सवाल पर मीरा कहती हैं कि पति को जेल भेज दूंगी तो जिंदगी किसके सहारे कटेगी? इसके बाद क्या मेरा परिवार मुझे शांति से जीने देगा? मेरे बच्चों का भविष्य क्या होगा?

मीरा की बातें भारतीय समाज की हकीकत बयां करती हैं। एक ऐसे समाज की हकीकत, जहां महिला के लिए शादी अच्छा जीवन जीने की गारंटी है और उसका पति परमेश्वर होता है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता गीता लूथरा कहती हैं कि यदि दुष्कर्म अपराध है तो वैवाहिक दुष्कर्म भी अपराध है। अंतर बस यही है कि यह घर के भीतर होता है। यह दो लोगों के बीच बंद कमरे में हुआ कृत्य है, जिसकी पुष्टि करना बहुत मुश्किल है।

यहां सवाल यह उठता है कि क्या इसे अपराध की श्रेणी में लाने पर महिलाएं अपना मुंह खोलेंगी? इस पर गीता कहती हैं कि आज किसी महिला के लिए उसका पति परमेश्वर नहीं रह गया, वे दिन लद चुके हैं। समय के साथ-साथ महिलाओं की सोच भी बदल रही हैं। ग्रामीण पृष्ठभूमि की महिलाएं भी अपने खिलाफ हो रहे अन्याय को लेकर आवाज उठा रही हैं। 498ए के तहत महिलाएं पतियों के खिलाफ बाहर आई हैं। इस कानून में मुश्किल यही होगा कि अपराध का सत्यापन कराना मुश्किल होगा।

गीता कहती हैं कि हर कानून का दुरुपयोग होता है, तो इस वजह से कानून बनना बंद तो नहीं हो सकता। वैवाहिक दुष्कर्म 80 देशों में अपराध है। इसे सबसे पहले 1932 में पोलैंड में अपराध की श्रेणी में लाया गया था, लेकिन भारत जैसे रूढ़िवादी देश में यह लोगों के गले के नीचे उतरेगा क्या?

सामाजिक कार्यकर्ता कमला भसीन कहती हैं कि शादीशुदा महिलाओं का भी अपने शरीर पर उतना ही हक है, जितना कुंवारी लड़कियों का। शादी होने से पुरुषों को रेप करने का सर्टिफिकेट नहीं मिल जाता। निर्भया कांड के बाद गठित की गई जस्टिस वर्मा कमेटी की रिपार्टों की समीक्षा करने की जरूरत है कि आखिर कानून बनने से कितना बदलाव आया है और कितना दुरुपयोग हुआ है।

इस मुद्दे पर चल रही सुनवाई में दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि पश्चिमी देशों में वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध माना गया है, इसका यह मतलब नहीं है कि भारत भी आंख मूंदकर वही करे। केंद्र सरकार ने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित किए जाने का विरोध किया है।

सरकार ने अदालत में अर्जी दाखिल कर कहा है कि वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध नहीं माना जा सकता, क्योंकि यह वैवाहिक संस्था के लिए खतरनाक साबित होगा। यह एक ऐसा चलन बन सकता है, जो पतियों को प्रताड़ित करने का आसान जरिया बन सकता है।

हमारे देश में दिक्कत यही है कि कानून में वैवाहिक दुष्कर्म परिभाषित नहीं है। हिंदू विवाह अधिनियम को खंगालें तो पता चलेगा कि विवाह के समय पति और पत्नी, दोनों की कुछ जिम्मेदारियां तय की गई हैं, जिसमें से एक सहवास का अधिकार भी है और सेक्स से इनकार करना क्रूरता माना गया है और इस आधार पर पति-पत्नी तलाक भी ले सकते हैं।

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल कहती हैं कि वैवाहिक दुष्कर्म एक अपराध है, इसे जितनी जल्दी समाज स्वीकार करे, उतना बेहतर होगा। उच्च न्यायालय का फैसला आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।