खरगोन। दिनों के नाम के क्रम के पीछे क्या मान्यता है इसको बच्चों के साथ एक रोचक खेल के माध्यम से विज्ञान संचारक सारिका घारू ने समझाया।
चिनार पार्क में आयोजित इस कार्यक्रम में सात बच्चो में से प्रत्येक शनि, गुरू, मंगल, रवि, शुक्र, बुध और चंद्र की भूमिका में था। हर बच्चा घड़ी के बढते 24 घंटे के अनुसार अपनी प्रभाव होने की जानकारी दे रहा था। हर 25वे घंटे में अगले दिन का नाम तय हो रहा था।
इस खेल के द्वारा बताया गया कि गुरूवार के बाद शुक्रवार ही क्यों आता है। शुक्रवार के बाद शनिवार ही क्यों आता है। जबकि सौर मंडल में ये ग्रह अलग क्रम में हैं।
विज्ञान संचारक सारिका ने बताया कि प्रत्येक दिन को 24 भागों में बांटा गया है जिसे घंटा कहते हैें। यह माना गया है कि प्रत्येक दिन के प्रारंभ का एक घंटा किसी एक ग्रह के प्रभाव में रहता है उसके बाद दूसरा घंटा क्रम से अन्य ग्रहों के प्रभाव में रहता है।
ग्रहों का क्रम तय करने के लिए खगोलीय पिंडो को उनके घूमने की गति के आधार पर क्रमबद्घ किया गया है। इनमें शनि सबसे धीमे और चंद्र सबसे जल्दी परिक्रमा करता है। इस आधार पर इनका क्रम शनि, गुरू, मंगल, रवि, शुक्र, बुध और चंद्र तय किया गया है।
सारिका ने बताया कि मान्यता के अनुसार दिन के आरंभ में जिस ग्रह का प्रभाव हो उसके नाम पर दिन का नाम रखा गया उदाहरण के लिये अगर दिन की शुरूआत प्रात: 6 बजे मंगल ग्रह के प्रभाव से है तो वह दिन मंगलवार होगा।
इसके बाद अगले 25 वे घंटे में बुध का प्रभाव होगा तो वह दिन बुधवार होगा। इसी प्रकार इसका अगला 25 वे घंटे में बृहस्पति या गुरू का प्रभाव रहेगा तो वह दिन बृहस्पतिवार कहलायेगा। इस तरह सातो दिनों के नाम तय किये गये हैं।
खगोलविज्ञान के इस खेल में खगोलपिंडों की भूमिका आशी चौहान, हिमांशु चौहान, वैशाली पटैल, अल्फिया शेख, सपनावर्मा, राजकुमारी पटवा, रूचि, मोहित सोनी, तरूण विष्ट ने निभाई।
परिभ्रमण काल
शनि 29 वर्ष
बृहस्पति या गुरू 12 वर्ष
मंगल 365 दिन
सूर्य के चारों ओर पृथ्वी 365 दिन
शुक्र 224 दिन
बुध 88 दिन
चंद्रमा 29 दिन