नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इजराइल दौरा रक्षा, कृषि, व्यापार, कूटनीति और जल प्रबंधन जैसे मुद्दों पर केंद्रित है। लेकिन साथ ही यहूदी देश के लिए किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा अपने आप में खास मानी जा रही है।
अपनी निर्धारित आधिकारिक मुलाकातों के अलावा मोदी की मुंबई में वर्ष 2008 में हुए 26/11 आतंकवादी हमले में जीवित बचे मोशे होल्त्जबर्ग से भी मिलने की संभावना है। जब यह हमला हुआ था, तब वह दो साल के थे। इजराइल के रहने वाले मोशे उस वक्त मुंबई में थे।
इजरायली समाचार पत्र ‘द हारेटेज’ की 29 जून, 2017 की रपट के अनुसार इस यात्रा से पहले दोनों देशों ने संयुक्त आर्थिक उपक्रमों का एक ढांचा तैयार किया है।
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इजराइल की कैबिनेट ने द्विपक्षीय योजनाओं को जारी रखने के 23 पन्नों के दस्तावेज और 2.8 करोड़ शेकलों (514 करोड़) का बजट जारी करने को मंजूरी दी, जो इजराइल द्वारा चीन, अफ्रीका और लैटिन अमरीका में मिलाकर किए जाने वाले व्यापार से कहीं अधिक है और इसीलिए करीब 11 मंत्रालय मिलकर इस कार्यक्रम की तैयारी में लगे हुए हैं।
वर्तमान में भारत-इजराइल संबंधों के महत्व का इन पांच बिंदुओं से आकलन किया जा सकता है।
रक्षा क्षेत्र : स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक, इजराइल के लिए भारत शीर्ष हथियार खरीददारों में से एक है। साल 2012 से 2016 के बीच इजराइल द्वारा किए गए कुल हथियार निर्यात में 41 फीसदी हिस्सा केवल भारत का था।
इजराइल भारत के लिए तीसरा सबसे बड़ा हथियारों का श्रोत है, जिसके तहत 2012 से 2016 के बीच हुए आयात में अमरीका (14 प्रतिशत), रूस (68 प्रतिशत) के बाद इजराइल की 7.2 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी।
वैसे इन दोनों देशों के बीच सहयोग के शुरुआती संकेत 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान देखने को मिले थे, जब इजराइल ने भारत को सैन्य सहायता प्रदान की थी। इजराइल ने पाकिस्तान के साथ दो युद्धों के दौरान भी भारत की सहायता की।
भारत के असैन्य हवाई वाहनों (यूएवी) का आयात भी अधिकांश इजराइल से होता है। इजराइल से खरीदे गए 176 यूएवी में से 108, खोजी यूएवी हैं और 68 हेरोन यूएवी हैं।
अप्रेल 2017 में, भारत और इजराइल ने एक उन्नत मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली के लिए दो अरब डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे, जो भारतीय सेना को 70 किलोमीटर तक की सीमा के भीतर विमान, मिसाइल और ड्रोन को मार गिराने की क्षमता प्रदान करता है।
भारत ने इस साल मई में इजराइल निर्मित स्पाइडर त्वरित प्रतिक्रिया युक्त सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था। भारतीय वायुसेना (आईएएफ) इस प्रणाली को अपनी पश्चिमी सीमा पर तैनात करने की योजना बना रही है।
आतंकवाद के खिलाफ एक संयुक्त कार्यसमूह के माध्यम से भारत और इजराइल आतंकवाद के मुद्दों पर भी घनिष्ठ सहयोग करते हैं।
कूटनीति : इजराइल के लिए मोदी के दौरे से पहले भी कई मंत्री स्तरीय और उच्चस्तरीय आधिकारिक दौरे हो चुके हैं। 2000 में तत्कालीन गृहमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, 2008 में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, 2014 में गृहमंत्री राजनाथ सिंह, 2015 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और 2016 में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इजराइल का दौरा कर चुकी हैं।
दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 25 साल के प्रतीक के रूप में तीन भारतीय नौसैन्य जहाजों, विध्वंसक आईएनएस मुंबई, युद्धपोत आईएनएस त्रिशूल और टैंकर आईएनएस आदित्य ने मई 2017 में हाइफा बंदरगाह पर एक सदभावना यात्रा की थी।
कृषि : 2015 से 2018 तक के लिए भारत-इजराइल कृषि कार्य योजना संचालित हो रही है, और भारतीय किसानों के समक्ष नवीनतम तकनीक का प्रदर्शन करने वाले प्रस्तावित 26 कृषि उत्कृष्टता केंद्रों में से 15 इजराइल की मदद से विकसित किए जा रहे हैं।
हरियाणा में करनाल के घरुंड में स्थित कृषि उत्कृष्टता केंद्र पर हर साल 20,000 से अधिक किसान जाकर लाभ लेते हैं।
जल प्रबंधन : 28 जून, 2017 को कैबिनेट ने भारत में जल संरक्षण के राष्ट्रीय अभियान के लिए इजराइल के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) को मंजूरी दी थी।
प्रौद्योगिकी निपुण इजराइल ने जल प्रबंधन प्रौद्योगिकियां विकसित की है, क्योंकि ताजा पेयजल के सीमित स्रोतों के साथ वह एक अर्ध-शुष्क क्षेत्र में स्थित देश है।
इससे पहले भारत और इजराइल ने नवंबर 2016 में जल संसाधन प्रबंधन और विकास सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे।
व्यापार : इजराइल 2016-17 में भारत का 38वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा है, जिसके तहत 5.02 अरब डॉलर (33,634 करोड़ रुपए) का व्यापार हुआ, जो 2012-13 के मुकाबले 18 फीसदी कम था। भारत के पक्ष में व्यापार संतुलन 2016-17 में 1.10 अरब डॉलर (7,370 करोड़ रुपए) रहा था। भारत ने इजराइल को 2016-17 में 1.01 अरब डॉलर मूल्य के खनिज ईंधन और तेलों के निर्यात किए थे।
मुंबई विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग की प्रोफेसर उत्तरा सहस्रबुद्धे ने कहा कि कृषि, रक्षा और विज्ञान व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग के कारण इजरायल के साथ भारत के संबंध महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने कहा कि इजराइल मिसाइलों सहित भारत को महत्वपूर्ण हथियार प्रणाली दे रहा है। उसने हमें ऐसे हथियार दिए हैं, जो हम अमरीका से वैचारिक कारणों से सीधे तौर पर नहीं खरीद सकते हैं। सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो यह विदेशी निवेश का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है। भारतीय प्रधानमंत्री की इस यात्रा से संकेत मिलेगा कि भारत पुरानी मानसिकता से बाहर आ गया है।