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टूरिज्म पर टैरेरिज्म हावी क्यों ? - Sabguru News
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टूरिज्म पर टैरेरिज्म हावी क्यों ?

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टूरिज्म पर टैरेरिज्म हावी क्यों ?
Why Terrorism Leads to Tourism
pm Narendra modi's visit to Pathankot base a mere photo op says Congress
pm Narendra modi’s visit to Pathankot base a mere photo op says Congress

2 अप्रैल को माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने नैशनल हाईवे पर देश की सबसे बड़ी रोड टनल का उद्घाटन करते हुए कहा था कि यह केवल जम्मू और कश्मीर की दूरी कम करने वाली सुरंग नहीं विकास की लम्बी छलांग है और कश्मीर के युवा को अब टैरेरिज्म और टूरिज्म में से किसी एक को चुनना होगा ।

जवाब फारूख़ अबदुल्ला ने दिया , ” मोदी साहब से कहना चाहता हूँ कि बेशक टूरिज्म यहाँ की जीवन रेखा है लेकिन जो पत्थर बाज हैं उन्हें टूरिज्म से मतलब नहीं है, वो अपने देश के लिए पत्थर फेंक रहे हैं उन्हें समझने की जरूरत है।”
अभी कुछ दिन पहले सीआरपीएफ के जवानों के साथ कश्मीरी युवकों के हिंसक होने का वीडियो सामने आया था जिसमें जवानों ने हथियारों से लैस होने के बावजूद बेहद संयम का परिचय दिया।

3 army jawans, woman killed in terrorist attack in Shopian
3 army jawans, woman killed in terrorist attack in Shopian

सेना और सरकार इन पत्थर बाजों की परवाह नहीं कर रही होती तो आत्मरक्षा के तहत इन पत्थर बाजों को ऐसा माकूल जवाब इन जवानों से अवश्य मिल गया होता कि भविष्य में कोई और कश्मीरी युवक पत्थर मारने तो क्या उठाने की हिम्मत भी नहीं करता लेकिन अगर जवानों की तरफ से इन पत्थर बाजों को जवाब नहीं दिया जा रहा तो केवल इसलिए कि हमारी सरकार इन्हें अपना दुशमन नहीं अपने देश के ही नागरिक मानती है लेकिन यह लोग हमारे जवानों को क्या मानते हैं?

अबदुल्ला साहब से इस प्रश्न का उत्तर भी अपेक्षित है कि कश्मीर के नौजवानों को टूरिज्म से मतलब नहीं है यहाँ तक तो ठीक है लेकिन उन्हें टैरेरिज्म से मतलब क्यों है और आप जैसे नेता इसे जायज़ क्यों ठहराते हैं?

mock drills to tackle terror attack in jodhpur

एक तरफ आप सरकार से कश्मीर समस्या का हल हथियार नहीं बातचीत के जरिए करने की बात करते हैं लेकिन कश्मीर के युवा के हाथों में बन्दूकें लिए टूरिज्म से ज्यादा टैरेरिज्म को चुनें तो आपको सही लगता है?
शायद इसलिए कि आपकी राजनीति की रोटियाँ इसी आग से सिक रही हैं।

यह कहाँ तक सही है कि हमारे जवान हथियार होते हुए भी लाचार हो जाएं और कश्मीर का युवा पत्थर को ही हथियार बना ले?

यह इस देश का दुर्भाग्य है कि बुरहान जैसे आतंकवादी अपने ही देश के मासूम लोगों की जानें लेकर गर्व से उसकी जिम्मेदारी लेते हैं और वहाँ के यूथ आइकान बन जाते हैं लेकिन हमारे जवान किसी पत्थर बाज को आत्मरक्षा के लिए गाड़ी की बोनट पर बैठा कर पुलिस थाने तक भी ले जाते हैं तो इन पत्थर बाजों के मानवाधिकारों की दुहाई दी जाती है और सेना से सफाई माँगी जाती है।

अगर पत्थर बाज अपने देश के लिए पत्थर फेंक रहे हैं तो हमारे जवान किसके लिए पत्थर और गोलियाँ खा रहे हैं?

अगर देश को पत्थर बाजों को समझने की जरूरत है तो क्या आपको देश और जवानों के सब्र को समझने की जरूरत नहीं है?Why Terrorism Leads to Tourism
अबदुल्ला साहब का कहना है कि आप लोगों को देश की परवाह है लेकिन पत्थर बाजों की नहीं तो क्या आप पत्थर बाजों को इस देश का हिस्सा नहीं मानते?

हाल के चुनावों में वो कौन लोग थे जिन्होंने बन्दूक की नोंक पर कश्मीरी आवाम को वोट डालने से रोका?
कश्मीर का युवा हाथ में बन्दूकें या पत्थर लेकर इस मुद्दे का हल चाह रहे हैं ?

यह तो कश्मीर के युवा को ही तय करना होगा कि वह और कब तक कुछ मुठ्ठी भर नेताओं के हाथों की कठपुतली बने रह कर अपनी उस जन्नत में बारूद की खेती करके उसे जहन्नुम बनाना चाहता है या फिर डल झील की खूबसूरती और केसर की खुशबू से एक बार फिर पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित करना चाहता है।

By: डॉ नीलम महेंद्र