नई दिल्ली। एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू ने सोमवार को स्वयं को उस तीन सदस्यीय चयन समिति से अलग कर लिया जिसे राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के दो प्रतिष्ठित सदस्यों का चुनाव करना है।
इस समिति के दो अन्य सदस्य प्रधानमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता अथवा सदन सबसे बड़े विरोधी दल के नेता हैं। दत्तू ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे गए एक पत्र में कहा कि नियुक्ति आयोग का मामला उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ के समक्ष है तथा इस संबंध में उसका फैसला आने तक वह चयन समिति में शामिल नही हो सकते।
संसद द्वारा पारित कानून और मुख्य न्यायाधीश के असमंजस से उत्पन्न इस असाधारण स्थिति के बारे में उच्चतम न्यायालय में मामले की सुनवाई के दौरान चर्चा हुई। न्यायमूर्ति जेएस केहर की अध्यक्षता वाली पीठ को विभिन्न वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने अपनी राय से अवगत कराया।
अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि चयन समिति में मुख्य न्यायाधीश का शामिल होना एक अनिवार्यता है। इस संबंध में मुख्य न्यायाधीश को निर्देश जारी किया जाना चाहिए। दूसरी ओर फली नरिमन ने अटार्नी जनरल की राय से असहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि चयन समिति के अन्य सदस्य बैठक में भाग ले सकते हैं।
पीठ के सदस्यों ने अपने चेंबर में विभिन्न तर्कों पर विचार विमर्श कर आगे सुनवाई करते हुए कहा कि पीठ ने सर्व सम्मति से फैसला किया है कि गुण दोष के आधार पर मामले की सुनवाई जारी रहेगी। जरुरत पड़ने पर पीठ अंतरिम आदेश जारी करेगी।
केन्द्र सरकार ने 23 अप्रैल को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया था कि नवगठित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग में दो प्रमुख हस्तियों की नियुक्ति का काम चार मई तक पूरा हो जायेगा। जिसके बाद आयोग का काम-काज विधिवत शुरू होगा साथ ही उच्चतम न्यायालय में सुनवाई पूरी होने तक उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में जजों की नई नियुक्तियां नही करेगा।
केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की नयी प्रणाली लागू करने सम्बन्धी राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग कानून की अधिसूचना 13 अप्रैल को जारी की थी। नियुक्ति आयोग अब तक चली आ रही नियुक्ति सम्बन्धी पुरानी कॉलेजियम प्रणाली का स्थान लेने वाला है। इसी मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ सुनवाई कर रही है।
एक सरकारी विज्ञप्ति के जरिये 13 अप्रैल को राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग कानून 2014 और 99वां संविधान संशोधन कानून 2014 को अधिसूचित कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि सम्बन्धित विधेयकों को संसद के दोनों सदनों ने गत वर्ष अगस्त में पारित कर दिया था। संविधान संशोधन पर राज्यों की सहमति हासिल होने के बाद गत 31 दिसंबर को राष्ट्रपति ने इस कानून पर अपनी मोहर लगा दी थी।
इन दो प्रमुख हस्तियों को न्यायाधीशों की चयन प्रक्रिया के लिए होने वाली बैठकों में प्रति बैठक 10 हजार रुपए मिलेगा तथा साथ ही इन्हें उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश के अनुरुप ही अन्य भत्ते भी दिये जायेंगे।