गांधीनगर। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी शनिवार को पांच फलकों में वस्तु एवं सेवा कर की दरें तय करने को लेकर सरकार की आलोचना की और कहा कि देश में पांच स्लैब नहीं, एकल कर प्रणाली की जरूरत है।
उन्होंने जीएसटी की दरें घटाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए देशवासियों व कांग्रेस पार्टी की सराहना की। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने जीएसटी के मौजूदा प्रारूप में संरचनात्मक सुधार की मांग की।
राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के गृहराज्य गुजरात के अपने चौथे चुनावी दौरे पर हैं।
उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि कांग्रेस और देश के लोगों ने भाजपा सरकार पर दबाव बनाया, जिसके चलते कई वस्तुओं को 28 फीसदी कर के दायरे से निकालकर कर 18 फीसदी कर के दायरे में शामिल किया गया। लेकिन हम इससे खुश नहीं हैं और हम इतने भर से नहीं रुकेंगे। भारत में पांच अलग-अलग करों की जरूरत नहीं है, बल्कि देश में एकल कर की जरूरत है। इसलिए जीएसटी में संरचनात्मक बदलाव की जरूरत है।
गुजरात में अगले महीने 9 और 14 दिसंबर को विधानसभा चुनावों के लिए मतदान होगा। तीन दिवसीय दौरे पर शनिवार को फिर गुजरात पहुंचे राहुल ने भाजपा के गढ़ उत्तर गुजरात में चुनाव प्रचार किया।
राहुल के इस दौरे में कांग्रेस की प्रदेश इकाई में शामिल हुए अन्य पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति, और अनुसूचित जनजाति और ओएस एकता मंच के नेता अल्पेश ठाकोर उनके साथ चल रहे हैं।
प्रांतिज में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ठाकोर ने लोगों से कहा कि भाजपा वाले आपको डराएंगे, मूर्ख बनाएंगे, फिर मोदी आएंगे और गुजरात की गौरवगाथा गाएंगे। लेकिन इस बार उनकी बातों में नहीं आना।
इलाके में अन्य जगहों पर भी कांग्रेस उपाध्यक्ष ने सरकार को निशाना बनाया। इदर और हिम्मतनगर में उन्होंने अमित शाह के बेटे जय शाह की कंपनी का कारोबार कथित तौर महज एक साल में 1,6000 गुना बढ़ जाने के मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर जुबानी हमले किए।
उन्होंने कहा कि मोदीजी कुछ तो बोलिए। राहुल ने कहा कि जो सरकार लोगों से 8 बजे रात में यह कह सकती है कि अब उनके पास के करेंसी नोट रद्द हो जाएंगे, वह लोगों के दिल की बात और दर्द कैसे जान समझ सकती है।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार की ओर से 35,000 करोड़ रुपए की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना शुरू की गई थी, लेकिन मोदी ने 35,000 करोड़ रुपए टाटा नैनो प्रोजेक्ट को दे दिया, गरीबों को कुछ नहीं दिया।