जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नोटबंदी को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अब सवाल किया है कि वे यह क्यों नहीं बताते कि उन्होंने पिछला चुनाव कालेधन से लड़ा था या सफेद धन से जीत कर प्रधानमंत्री बने थे।
सच्चाई बताने में कतरा क्यों रहे हैं। देश के लोग इस सच्चाई को जानना चाहते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने रविवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारों से चर्चा के दौरान यह बात कही।
उन्होंने कहा कि यह सभी जानते हैं कि चाहे कोई किसी भी राजनीतिक दल का व्यक्ति हो, नगर पार्षद, विधायक या सांसद का चुनाव लड़ता है, उसकी शुरूआत चंदे के पैसों से होती है। यहीं से भ्रष्टाचार शुरू हो जाता है।
ऐसे में कालेधन को समाप्त कर देने जैसी बातें हिपोक्रैसी के सिवाय कुछ नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कालेधन को समाप्त करने का उद्देश्य अच्छा हो सकता है मगर बिना तैयारी से उठाये गए इसे कदम से आज किसान, मजदूर एवं आम नागरिक बुरी तरह दुखी हैं, क्योंकि अपना पैसा निकालने के लिए उसे घंटों कतार में लगना होता है।
फिर भी बैंक से पैसा नहीं मिलना दुर्भाग्य की बात है। अब तो लोगों का विश्वास करेंसी से भी और बैंकों से भी उठता जा रहा है। पता नहीं सरकार कब क्या फैसला कर दे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अब गरीबों के लिए बड़ी-बड़ी बातें बोल रहे हैं।
इतिहास गवाह है कि भारतीय जनता पार्टी ने कभी भी गरीबों, मजदूरों और किसानों की परवाह नहीं की। यह पार्टी बड़े-बड़े उद्योगपतियों एवं व्यापारियों की परवाह करती आई है।
इनके बड़े-बड़े जुमलों पर उन्होंने कहा कि यह वक्त बताएंगे स्थिति क्या बनती है? उन्होंने कहा कि राजनीतिक चंदा जो कालेधन की जननी है, उस पर कोई चर्चा नहीं करना चाहता है।