नई दिल्ली। संसद के एक मिनट की कार्यवाही पर तकरीबन ढाई लाख रुपये का खर्च आता है। इस लिहाज से एक घंटे की कार्यवाही पर डेढ़ करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं। सामान्य रूप से राज्यसभा की कार्यवाही एक दिन में 5 घंटे चलती है।
वहीं लोकसभा की कार्यवाही एक दिन में 8 से लेकर 11 घंटे चलती है। एक दिन में तकरीबन 23 करोड़ रुपए का खर्च आता है। जबकि एक हफ्ते यानी सोमवार से लेकर शुक्रवार तक का खर्च बैठता है 115 करोड़।
इस लिहाज से संसद के शीतकालीन सत्र में 22 बैठकों के दौरान लगभग 506 करोड़ रुपए स्वाहा हो गए। 16वीं लोकसभा के पहले सत्र में हंगामे की वजह से 16 मिनट बर्बाद हुए जिसके कारण 40 लाख रुपए बर्बाद हुए।
दूसरे सत्र में 13 घंटे 51 मिनट स्वाहा हुए यानि 20 करोड़ 7 लाख रुपये का नुकसान हुआ। तीसरे सत्र में 3 घंटे, 28 मिनट कार्यवाही बर्बाद हुई जिसके कारण 5 करोड़ 20 लाख का नुकसान हुआ।
चौथे सत्र में 7 घंटे, 4 मिनट बर्बाद हुए यानि 10 करोड़ 60 लाख रुपये हंगामे की भेंट चढ़े। पांचवें सत्र में 119 घंटे बर्बाद हुए यानि 178 करोड़ 50 लाख रुपए हंगामे में स्वाहा।
संसद की हालत पर भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने यहां तक कह डाला कि मन होता है इस्तीफा दे दूं। शीतकालीन सत्र में हंगामे की वजह से कई जरूरी बिल भी अटक गए। महज दो बिल ही सत्र में पास हो सके।
इनमें एक टैक्सेशन अमेंडमेंट बिल था, दूसरा राइट्स ऑफ पर्सन्स विथ डिसेबिलिटी बिल-2014। हालांकि टैक्सेशन अमेंडमेंट बिल फाइनेंस बिल होने की वजह से पास हो गया, इसे राज्यसभा से पास कराने की कोई जरूरत नहीं थी। संसद सत्र की 22 बैठकों में 9 बिल पेश होने थे।