सभी वृद्धों की मांग:
अब अपने बाबा को भी बाबा बोलना बन्द हो।
दादा, दाऊ या बुड्ढा ही बोल लो पर, बाबा न बाबा।
ना आसाराम का, ना रामपाल का, और ना राम रहीम का;
वकील तो सलमान खान का ही बढ़िया है।
पत्नियाँ अपने पति को जितना सताती हैं न, उतना ही उनको काम वाली बाईयाँ सताती हैं।
सब कर्मों का फल है।
ट्रैफिक पुलिस वाले 100₹ लेते नही थे और हम 500₹ देते नही थे।
200₹ की नोट के साथ RBI ने बीच का रास्ता दिखाया है।
अगर मजबूरी का नाम गाँधी था,
तो जबरदस्ती का नाम मोदी रखा जाये।
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