जालोर। जांभोजी के बीस और नौ सिद्धांतों को मानने वाले राजस्थान के बिश्नोई समाज के लोगों को एक गांव ऐसा भी है जहां हर पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण मेला लगता है और महिलाएं पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधकर उनकी रक्षा करने और पोसने का वचन देती हैं।
यह अनूठी परम्परा पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पित इस समुदाय के पर्यावरण के प्रति मोह को दर्शाती है। गुरुवार को विश्व पर्यावरण दिवस पर जालोर जिले की सांचोर तहसील के धमाणा का गोलिया में अमृतादेवी स्मृति जन सेवा संस्थान की ओर से गांव में तीन वर्ष पूर्व स्थापित अमृता देवी उद्यान में यह नजारा देखने को मिला। इसके तहत पर्यावरण संरक्षण मेला लगा जहां पर महिलाओं व पुरुषों ने पेड़ों के संरक्षण के लिए संकल्प किया। यहां पर पौधरोपण भी किया।
तीन साल पहले ही बनाया उद्यान
धमाणा का गोलिया में में अमृतादेवी स्मृति जन सेवा संस्थान ने तीन साल पहले ही अमृता देवी उद्यान को स्थापित किया। इसमें अभी छह हजार पौधे लगे हुए हैं। बड़ी मशक्कत की इन पौधों को सींचने में यहां के ग्रामीणों ने। पौधे लगाने से ज्यादा चुनौती यहां के तपते वातावरण में इन्हें जिंदा रखने की थी। लेकिन, इन लोगों ने इसका भी तोड़ निकाला। कुछ दूरी पर से नर्मदा नहर गुजर रही है। ग्रामीणों ने चंदा एकत्रित करके नियमित रूप से नर्मदा नहर से टैंकर भरकर इन पौधों को सींचने का मार्ग अपनाया। उनके इस संकल्प का परिणाम अमृतादेवी उद्यान में देखने को मिलता है। आज यहां पर खेजड़ी समेत विभिन्न किस्मों के छह हजार पेड़ सांसें ले रहे हैं।
खेजड़ली के शहीदों को दी श्रद्धांजलि
इस दौरान ग्रामीणों ने खेजड़ली में चिपको आंदोलन के तहत पेड़ों की रक्षा के लिए शहीद हुए 363 लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस उद्यान का नाम खेजड़ली में 18 वी शताब्दी में चिपको आंदोलन की प्रेरणा स्रोत तथा खेजड़ी वृक्ष काटने के विरोध में शहीद हुई अमृतादेवी के नाम पर रखा गया है।