नई दिल्ली। जिन महिलाओं के बाल लगातार झड़ते हैं, उनमें गैर-कैंसर वाले ट्यूमर का खतरा बना रहता है। यह ट्यूमर गर्भाशय की दीवारों के भीतर होता है।
सेंट्रल सेंट्रीफ्यूगल सिकेट्रिशियल एलोपेसिया (सीसीसीए) वाली महिलाओं में गर्भाशय के अंदर ट्यूमर का जोखिम पांच गुना अधिक होता है। एक नए शोध में यह पता चला है। फाइब्रॉएड गर्भाशय की दीवार पर पाए जाने वाले चिकनी पेशी के ट्यूमर हैं। वे गर्भाशय की दीवार के भीतर ही विकसित हो सकते हैं या इसके साथ जुड़े हो सकते हैं।
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष पद्श्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि फाइब्रॉएड गर्भाशय की मांसपेशी के ऊतकों में शुरू होते हैं। वे गर्भाशय की कैविटी में, गर्भाशय की दीवार की मोटाई या पेट की गुहा में बढ़ सकते हैं। फाइब्रॉएड के लिए मेडिकल शब्द है- लेय्योमायोमा।
फाइब्रॉएड शरीर में स्वाभाविक रूप से उत्पादित हार्मोन एस्ट्रोजन द्वारा उत्तेजना की प्रतिक्रियास्वरूप विकसित होते हैं। इनकी वृद्धि 20 साल की उम्र में दिख सकती है, लेकिन रजोनिवृत्ति के बाद ये सिकुड़ जाते हैं, जब शरीर एस्ट्रोजेन का बड़ी मात्रा में उत्पादन बंद कर देता है।
डॉ. अग्रवाल ने आगे कहा कि फाइब्रॉएड का उपचार लक्षणों, आकार, उम्र और रोगी के सामान्य स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। यदि कोई कैंसर पाया जाता है, तो यह रक्तस्राव अक्सर हार्मोनल दवाओं द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि कुछ खाद्य पदार्थ फाइब्रॉएड को बढ़ा सकते हैं। इसे रोकने के लिए संतृप्त वसा वाले खाद्य पदार्थो को फाइब्रॉएड रोगियों को नहीं देना चाहिए। ये वसा एस्ट्रोजेन स्तर को बढ़ा सकते हैं, जिससे फाइब्रॉएड बड़ा हो सकता है। कैफीन युक्त पेय पदार्थ गर्भाशय फाइब्रॉएड होने पर नहीं लेना चाहिए।
डॉ. अग्रवाल के मुताबिक उच्च नमक वाले फूड्स अपने आहार से दूर रखें, क्योंकि वे आपके जिगर पर दबाव डालते हैं। जिगर विषाक्त पदार्थो को हटाने और हार्मोन संतुलन के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार अंग है।