इस्लामाबाद/वॉशिंगटन। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था सबसे बुरे दौर में पहुंच गया है। देश का आर्थिक घाटा इतना बढ़ गया है कि इस्लामाबाद को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मदद लेनी पड़ सकती है।
उसे अपने चालू खाता घाटे से उबरने के लिए 17 अरब डॉलर यानी तकरीबन 1 लाख 10 हजार 300 करोड़ रुपए की जरूरत है। यह जानकारी मंगलवार को मंगलवार को विश्व बैंक सूत्रों से मिली।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और वर्ल्ड बैंक की सालाना बैठक से इतर पाकिस्तानी प्रतिनिधियों से मिलने के बाद विश्व बैंक ने कहा कि दूसरे देशों से कारोबार के मामले में पाकिस्तान प्रतिकूल परिस्थितियों से गुजर रहा है और अगर वित्तीय घाटा लगातार बढ़ता रहा तो अर्थव्यवस्था जोखिम में जा सकती है।
विश्व बैंक का कहना है कि पाकिस्तान को विदेशों से आर्थिक मदद की जरूरत पड़ेगी। अगले वित्त वर्ष (2018) के लिए उसकी जीडीपी का 5 से 6 प्रतिशत हिस्सा विदेशों से मिलने वाली वित्तीय सहायता के जरिए पूरा करना होगा।
पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल में वित्त सचिव शाहिद महमूद, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर तारीक बाजवा, आर्थिक मामले के सचिव आरिफ अहमद खान शामिल थे। इस प्रतिनिधिमंडल ने दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए वर्ल्ड बैंक के उपाध्यक्ष ऐनट डिक्सन के नेतृत्व वाली टीम से मुलाकात की।
मुलाकात के बाद विश्व बैंक ने पाकिस्तान को समर्थन जारी रखने की घोषणा की और कहा कि वह मौजूदा चुनौतियों से निपटने में पाकिस्तान की मदद करेगा।