सबगुरु न्यूज उदयपुर। अपने ही देश में शरणार्थी होने का दंश झेल रहे कश्मीरी पंडितों को उनका हक दिलाने के लिए विश्व ब्राह्मण संगठन भी आंदोलन करेगा। यह ऐलान उदयपुर में रविवार को आयोजित प्रेसवार्ता में किया गया। इस मौके पर कश्मीरी पंडितों के संघर्ष के लिए कार्यरत अग्रणी संस्था पुनुन कश्मीर के अध्यक्ष अश्विनी कुमार चुरंग भी मौजूद थे।
विश्व ब्राह्मण संगठन के पश्चिमी भारत क्षेत्र के अध्यक्ष भगवान मेनारिया ने कहा कि कश्मीरी पंडितों का दर्द किसी को नजर नहीं आ रहा है। जब 1984 के दंगों की जांच हो सकती है तो 1990 की क्यों नहीं। उन्होंने कहा कि विश्व ब्राह्मण संगठन लम्बे समय से आरक्षण हटाने को लेकर आंदोलनरत है।
उनका मानना है कि आरक्षण से किसी का लाभ नहीं हुआ है, उलटे सवर्ण के प्रति द्वेष की भावना बढ़ी है। आज गरीब सवर्ण के लिए कोई सरकारी सहायता उपलब्ध नहीं है। यही स्थिति कश्मीरी पंडितों की है जो जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक थे और उन पर अत्याचार हुए जिनको पुनः बसाने के लिए कोई सरकार कड़े कदम नहीं उठा रही है।
प्रेसवार्ता में पुनुन कश्मीर के अध्यक्ष अश्विनी कुमार चुरंग कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट से गुहार करते हैं कि है कि वे अपने उस फैसले पर फिर से विचार करें जिसमें उन्होंने तथ्यों के अभाव में कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार की याचिका को नहीं सुना गया। उन्होंने कहा कि ऐसा करके कहीं न्याय के मंदिर में ज्यूडिशियल प्रोसेस और काॅजी ज्यूडिशियल प्रोसेस में भविष्य के लिए बाधा तो उत्पन्न नहीं की गई है।
उन्होंने कहा कि मानवाधिकार आयोग ने 18 साल पहले कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार के मामले में निर्णय दिया था, उस पर भी गौर करने की जरूरत है। उन्होंने अपील की कि सुप्रीम कोर्ट कश्मीरी पंडितों के दर्द को समझे और उन्हें न्याय दे।
उन्होंने यह भी कहा कि जब बांग्लादेश में बरसों पुराने मामलों में ट्रिब्यूनल बनाकर अत्याचार करने वालों को फांसी की सजा सुनाई जा रही है, ऐसे में देश के संविधान में विसंगतियों के दोषियों पर भी मुकदमा चलना चाहिए, जिनकी वजह से पूरा समाज हिंसा और निर्वासन का दंश झेल रहा है। कोई दोषी जीवित नहीं है तो उसकी निशानी को सजा सुनाई जा सकती है, ताकि देश की जनता का अपनी न्यायपालिका पर विश्वास और मजबूत हो सके।
अश्विनी कुमार ने कहा कि कश्मीरी पंडित जम्मू-कश्मीर में झेलम नदी के दोनों ओर होमलैंड चाहते हैं जो केन्द्र शासित हो। साथ ही धारा 370 और धारा 35-ए का भी पूरी तरह खात्मा चाहते हैं। ये दोनों ही धाराएं कश्मीर में मुस्लिम अधिनायकवाद, अलगाववाद और हिंसा की जनक हैं।
उन्होंने केन्द्र सरकार का धन्यवाद भी देते हुए कहा कि केन्द्र ने धारा 370 के मुद्दे को संविधान पीठ में ले जाने का निर्णय कर कश्मीरी पंडितों के लिए राहत का कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि इसी सरकार से कश्मीरी पंडितों को राहत की उम्मीद है। अश्विनी कुमार ने कहा कि इस साल भारत छोड़ो आंदोलन की तरह ही धारा 370 कश्मीर छोड़ो आंदोलन की शुरुआत कर दी गई है।