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विश्व कैन्सर दिवस : भारत में कैंसर से हर वर्ष मरतें है 5 लाख लोग - Sabguru News
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विश्व कैन्सर दिवस : भारत में कैंसर से हर वर्ष मरतें है 5 लाख लोग

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विश्व कैन्सर दिवस : भारत में कैंसर से हर वर्ष मरतें है 5 लाख लोग
World Cancer Day 2016 : 5 lakh indian die of cancer every year
World Cancer Day 2016 : 5 lakh indian die of cancer every year
World Cancer Day 2016 : 5 lakh indian die of cancer every year

पटना। विश्व कैन्सर दिवस हर साल 4 फरवरी को मनाया जाता है, इसका उददेश्य कैंसर की रोकथाम, पहचान और इससे निपटने के लिए लोगों को संवेदनशील एवं जागरुक करना है।कैन्सर से होने वाली मौतों की संख्या विश्वभर में एडस, मलेरिया, टीबी एंव अकारण आने वाली बीमारियेां से होने वाली कुल मौतों से अधिक है।

वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम के अनुसार कैंसर की बीमारी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर मौजूद 3 प्रमुख खतरों में से एक है। भारत में कैन्सर मृत्यु के 10 प्रमुख कारकों में से एक है, जो कि एक लगातार बढती जन स्वास्थ्य समस्या है।

देश में प्रतिवर्ष केन्सर से करीब 5 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु होती है। वंही देश में प्रतिदिन 1300 लोग इसकी वजह से मर रहे है। प्रदेश में करीब 1 लाख 25 हजार लोग प्रतिवर्ष तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादेां से सेवन अपनी जान गंवा रहे है और प्रतिदिन 440 से अधिक बच्चे तंबाकू सेवन की शुरुआत कर रहे है।

वायॅस ऑफ टोबेको विक्टमस (वीओटीवी) के संजय सेठ ने बताया कि साल 2011 की संयुक्त राष्ट्र घोषणा में कैन्सर के बढते खतरे को कम करने के लिये 4 कारगर रणनीतियों की उदघोषणा की गई थी। जिसमें तंबाकू नियंत्रण, शराब के असुरक्षित उपयोग पर नियंत्रण, मोटापा नियंत्रण व बेहतर पोषण को इसमें शामिल किया गया था।

सवा सौ करोड से अधिक की जनसंख्या वाले देश में बेहतर पोषण को सुनिश्चित और व्यवस्थित करना एक बहुत ही बडा और लम्बा कार्य है, हालांकि कैंसर की दिशा में शीघ्र परिवर्तन लाने के लिये बीड़ी, सिगरेेट, तंबाकू, सुपारी, शराब, जंक फूड पर नियंत्रण हमारी वर्तमान नीतियों की आसान पंहुच में है। इन मौजूदा नीतियों की पालना सुनिश्चित हो तो कैंसर के दो तिहाई कारणों पर जीत हासिल की जा सकती है।

टाटा मेमोरियल अस्पताल के प्रोफेसर और सर्जन डा. पंकज चतुर्वेदी बतातें है कि विभिन्न शोध व अध्ययन प्रमाणित करते है कि विकासशील देशों में तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों पर 10 प्रतिशत दाम बढ़ाने से उसके उपभोग में 7 प्रतिशत की कमी आती है।

खासतौर पर बीडी उपभोग में 9.1 प्रतिशत एवं सिगरेट सेवन में 7 प्रतिशत की कमी आती है। इस प्रकार से बढी हुई कीमतें युवा वर्ग को तंबाकू सेवन शुरु करने से रोकती हैं साथ ही वर्तमान उपभोक्ताओं को भी हतोत्साहित करती है। सबसे अधिक बीड़ी पर टैक्स बढ़ाने की जरुरत है, इसका उपयोग सबसे अधिक होता है।

कैंसर का प्रभाव

वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिमस के पेटर्न एवं सर्जन डा.वीपी सिंह ने बताया कि कैंसर का प्रभाव प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है इसका सबसे बड़ा कारण तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पाद है। तंबाकू चबाने से मुंह, गला, अमाशय, कैंसर, आंखों की रोशनी चले जाना, हाथ पैरों में विकृति, नपुसंकता, यकृत और फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

चिकित्सा जगत के शोध में सामने आया कि सिगरेट और बीड़ी में 4 हजार तरह के रसायन होते है। इनमें 60 रसायनिक केमिकल ऐसे है तो सीधे कैंसर रोग को बढ़ावा देते है। भारत में करीब एक सौ करोड़ मिलियन सिगरेट व बीड़ी जलाई जाती है। इसका अंदाज हम यही से लगा सकतें है कि यदि बीड़ी या सिगरेट के एक बट को एक लीटर पानी में डालकर उसमें मछली को छोड़ दिया जाये तो वह मर जाती है।

इन उत्पादेां के चबाने से मुंह, गला, फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। तंबाकू जनित रोगों में सबसे ज्यादा मामले फेफड़े और रक्त से संबंधित रोगों के हैं जिनका इलाज न केवल महंगा बल्कि जटिल भी है।

कैंसर की वजह

डा.सिंह बतातें है कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान (आईसीएमआर) की रिपोर्ट मे इस बात का खुलासा किया गया है कि पुरुषों में 50 प्रतिशत और स्त्रियों में 25 प्रतिशत कैंसर की वजह तम्बाकू है। धुआं, रहित तम्बाकू में 3000 से अधिक रासायनिक यौगिक हैं, इनमें से 29 रसायन कैंसर पैदा कर सकते हैं।

मुंह के कैंसर के रोगियों की सर्वाधिक संख्या भारत में है। इससे राज्यभर में लगे कैंसर तथा 90 प्रतिशत मुंह के कैंसर का मुख्य कारण तंबाकू को ही माना गया है। यह शुगर,हार्ट अटेक, आहार नाल, रक्तचाप, मुंह, गला एंव फेफड़े का कैंसर, आंखों की रोशनी चले जाना, हाथ पैरों में विकृति, नपुसंकता सहित अनेक प्रकार की बीमारियेां का जन्मदाता है।

वे बतातें हैं कि देशभर में सबसे पहले और सबसे अधिक तंबाकू व धूम्रपान उत्पादों पर टैक्स बढाने वाला पहला राज्य है। इसलिए पूर्व में राज्य सरकार को तंबाकू व धूम्रपान उत्पादों पर टैक्स बढ़ाए जाने पर डी.जी.अवार्ड भी मिल चुका है।

गौरतलब है कि तंबाकू व धूम्रपान उत्पादों का सेवन कम करने के लिए तंबाकू पर टैक्स वृद्वि सबसे प्रभावी एंव सस्ता उपाय है। इस वर्ष भी टैक्स वृद्वि की दर को निरंतर बनाये रखने के लिए तंबाकू पर कम से कम 75 प्रतिशत टैक्स वृद्वि होनी जरुरी है। तभी प्रदेश के युवाअेां को इसकी गिरफत से बचाया जा सकेगा।

वर्तमान सरकार ने इन उत्पादों पर टैक्स वसूली के लिए प्रभावी एंव कठोर कदम उठाए है। जिससे टैक्स की चोरी में कमी आई है एंव टैक्स वृद्वि से सरकार के राजस्व में भी इजाफा हुआ है। इससे तंबाकू के सेवन में निरंतर कमी भी आ रही है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार हर तीसरा भारतीय किसी ना किसी रुप में तंबाकू या धूम्रपान उत्पादों का सेवन करता है, इनमें से एक तिहाई लोग कैंसर, दिल की बीमारी जैसी बीमारियों भारत मेें 30 या अधिक की उम्र में होने वाली हर 5 मौतों में से 2 मौतें धूम्ररहित तंबाकू के कारण होती है।

गौरतलब है कि बडी तादात में लोग चबाने वाले तंबाकू उत्पादों को उपयोग कर रहे हैं जिससे होने वाले मुंह के केन्सर ने अब एक महामारी का रुप ले लिया है। उन्होंने बताया कि तम्बाकू सेवन सबसे बडी मानव निर्मित त्रासदी है जिसके कारण देश में प्रतिवर्ष 12 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है।

जिसमें बीड़ी 5 लाख 80 हजार, 3.5 लाख सिगरेट और 3.5 धूम्र रहित तंबाकू पदार्थों का उपयोग करने वाले प्रतिवर्ष दम तोड़ रहें है। वंही रोजाना 5,500 बच्चे तम्बाकू निर्मित उत्पादों जैसे सिगरेट, बीडी, गुटका, पान मसाला आदि की शुरूआत से कर इसकी गिरफ्त में आ जाते हैं।

वैश्विक वयस्क तम्बाकू सर्वेक्षण ने तम्बाकू के उपयोग की दर 53.5 प्रतिशत पाई है। जिन्हें यदि समय रहते आगाह किया जाए तो केंन्सर, हृदयाघात एवं श्वांस आदि रोगों से बचाया जा सकता है।

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