नई दिल्ली। उम्र बढ़ने के साथ ह्रदय रोग का खतरा बढ़ता जाता है। युवावस्था से ही स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इस बीमारी से बचा जा सकता है, जो विश्वभर में पुरुषों और महिलाओं दोनों की मौत के मामले में पहले स्थान पर है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक कोरोनरी ह्रदय रोग, दिल का दौरा और उच्च रक्तचाप गैर-सक्रामक बीमारियों से संबंधित 45 फीसदी मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। वहीं, श्वांस संबंधी रोगों से 22 फीसदी, कैंसर से 12 फीसदी और मधुमेह से तीन फीसदी लोगों की मौत होती है।
समय से पहले आने वाले लगभग 80 प्रतिशत दिल के दौरों को रोका जा सकता है, बशर्ते कि इसके उपाय जल्द ही अपनाए जाने चाहिए।
फोर्टिस हॉस्पिटल के ह्रदय रोग विभाग के निदेशक व प्रमुख, तपन घोष ने कहा कि धूम्रपान से बचने, स्वस्थ आहार लेने, नियमित व्यायाम करने, सही वजन, रक्त चाप, रक्त शर्करा, कोलेस्ट्रॉल का उचित स्तर बनाए रखने की शुरुआत युवावस्था में ही कर देनी चाहिए।
ह्रदय रोग मुख्य रूप से धमनी की दीवार पर वसा, कोलेस्ट्रॉल और अन्य पदार्थो के निर्माण के कारण होता है, जो एथरोस्क्लेरोसिस के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण कम उम्र में ही होने लगता है और उस जगह को ब्लॉक कर देते हैं, जहां पर ह्रदय शरीर के ऊतकों को पर्याप्त रक्त पंप करने में असमर्थ हो जाता है। इससे ह्रदय और रक्त वाहिका संबंधी विभिन्न बीमारियां हो जाती हैं।
घोष ने बताया कि विशेष लक्षणों में व्यायाम के दौरान सीने में दर्द होना या एंजाइना (आराम करने पर राहत मिलना) है। सांस लेने में दिक्कत होना, पसीना आना, घबराहट, एपिगैस्ट्रिक (अधिजठर) शामिल हैं। कुछ लोगों को पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द और सूजन भी महसूस होता है।
इस साल ‘जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कॉर्डियोलॉजी’ (जेएसीसी : हॉर्ट फेल्योर) में इस बात का खुलासा हुआ था कि 45-55 साल की उम्र में मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्ताप से बचने पर दिल का दौरा पड़ने की 86 फीसदी संभावना कम हो जाती है।
पुरुषों के इन तीन जोखिम कारकों से दूर रहने व दिल के दौरे से मुक्त रहने पर पर उनकी उम्र औसतन 10.6 साल बढ़ जाती है। जबकि महिलाओं की औसतन 14.9 साल बढ़ जाती है।
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के वरिष्ठ कंसल्टैंट (कॉर्डियोलॉजी) मुकेश गोयल ने कहा कि जहां अधिकांश पुरुषों को पहले लक्षण के उभरते ही दिल का दौरा पड़ता है, वहीं महिलाओं को थकान, अवसाद व तनाव महसूस होता है।
वृद्धावस्था में संतृप्ट ट्रांसफैट, फल, सब्जी, नट और स्वास्थ्यपरक तेल जैसे सरसों के सेवन से ह्रदय रोग की संभावना कम होती है।
पुरी ऑयल मिल्स के प्रबंध निदेशक विवेक पुरी ने कहा कि हॉर्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ द्वारा किए गए एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि भोजन पकाने में सरसों के तेल के इस्तेमाल से कोरेनरी ऑर्टरी रोग होने का जोखिम 70 फीसदी से ज्यादा घट जाता है।
अमेरिकन हॉर्ट एसोसिएशन के सुझावों के मुताबिक, हफ्ते में कम से कम पांच दिन संयत या धीरे-धीरे आधा घंटा कसरत करने से या हफ्ते में कम से कम तीन दिन तेजी के साथ कसरत करने से या इन दोनों को संयोजित रूप से करने से ह्रदय स्वस्थ रहता है।
रोकथाम के इन उपायों के अलावा एक निश्चित अंतराल पर महिलाओं और पुरुषों दोनों को अपने स्वास्थ्य की जांच कराते रहना चाहिए।
गोयल ने कहा कि पुरुषों को 35 साल की उम्र में और महिलाओं को 40 साल की उम्र में अपने बुनियादी स्वास्थ्य की जांच करानी चाहिए। किसी बीमारी के सामने आने पर जीवनशैली में बदलाव और उचित दवाइयों के साथ शीघ्र ही इलाज कराया जाना चाहिए।