नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी (सीएनईएस) के प्रोत्साहन से पहली बार 60 से अधिक देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां मानव-उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की निगरानी के लिए अपनी प्रणालियों और डाटा समन्वय के लिए अपने उपग्रहों को शामिल करने पर सहमत हो गई हैं।
इसरो के अध्यक्ष किरण कुमार ने कहा जलवायु परिवर्तन की निगरानी के लिए अंतरिक्ष आदानों के उपयोग के लिए सभी अंतरिक्ष एजेंसियों का एकतरफा समर्थन अपरिहार्य है। उन्होंने कहा कि पृथ्वी का अवलोकन करने वाले उपग्रह एक वैश्विक परिप्रेक्ष्य में जलवायु प्रणाली का मापन प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन हैं।
उन्होंने कहा कि इसरो अपने उपग्रहों की विषयगत श्रृंखला के माध्यम से, समकालीन और साथ ही भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए निरंतर पृथ्वी का अवलोकन डेटा प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसरो अपने उन्नत उपकरणों के साथ जलवायु अवलोकन के लिए संयुक्त अभियानों के लिए भी सीएनईएस, जाक्सा और नासा के साथ जुड़ा है।
सीएनईएस के अध्यक्ष जीन यवेस ले गॉल ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक घटना है जो अंतरिक्ष क्षेत्र से परे तक की पहुँच को दर्शाती है और सफलता का एक आदर्श उदाहरण है। उन्होंने कहा कि इसे केवल अंतरराष्ट्रीय के सहयोग के माध्यम से ही हासिल किया जा सकता है।
दुनिया की अग्रणी अंतरिक्ष शक्तियों सहित 60 से अधिक देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष समुदाय और वैज्ञानिकों के पास अब मानव जाति और हमारे ग्रह की भलाई के लिए साधन हैं जिनके माध्यम वे इस दिशा में कार्य हेतु अपनी प्रतिभा, बुद्धि और आशावाद को प्रकट कर सकते हैं ।
उल्लेखनीय है कि इस संदर्भ में पिछले साल दिसंबर में पेरिस में आयोजित सीओपी21 जलवायु सम्मेलन ने इस दिशा में प्रोत्साहन जगाने का कार्य किया था। उपग्रहों के बिना, ग्लोबल वार्मिंग की वास्तविक स्थिति को मान्य नहीं माना गया है और इसके पश्चात 22 अप्रेल को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ऐतिहासिक समझौता, 2016 पर हस्ताक्षर नहीं किए गए होते।
50 आवश्यक जलवायु चरों में निगरानी किए जा रहे 26 चर जिनमें बढ़ता समुद्री स्तर, समुद्री बर्फ का परिमाण और वातावरण की सभी परतों में ग्रीन हाउस गैसों की सांद्रता को सिर्फ अंतरिक्ष से ही मापा जा सकता है।
पेरिस समझौते को प्रभावी ढंग से लागू करने की कुंजी इस क्षमता में निहित है कि राष्ट्र ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों को रोकने के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर रहे हैं और इस कार्य को केवल उपग्रह ही कर सकते हैं।
3 अप्रेल 2016 को इसरो और सीएनईएस द्वारा नई दिल्ली में आमंत्रित विश्व की अंतरिक्ष एजेंसियों ने ‘नई दिल्ली घोषणा’ के माध्यम से पृथ्वी का अवलोकन कर रहे उनके उपग्रहों से प्राप्त डेटा को केंद्रीकृत करने के लिए “एक स्वतंत्र, अंतरराष्ट्रीय प्रणाली” को स्थापित करने का फैसला किया जो आधिकारिक तौर पर 16 मई, 2016 से प्रभावी हो चुका है।
अब इनका लक्ष्य इन उपग्रहों से प्राप्त डेटा की अंतर-जांच करना है ताकि इसे संयुक्त करने के साथ-साथ इसकी समय के साथ तुलना की जा सके।