Warning: Undefined variable $td_post_theme_settings in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/news/wp-content/themes/Newspaper/functions.php on line 54
watch video : अजमेर सिटी में जगह जगह परंपरागत तरीके से हुआ होलिका दहन - Sabguru News
Home Rajasthan Ajmer watch video : अजमेर सिटी में जगह जगह परंपरागत तरीके से हुआ होलिका दहन

watch video : अजमेर सिटी में जगह जगह परंपरागत तरीके से हुआ होलिका दहन

0
watch video : अजमेर सिटी में जगह जगह परंपरागत तरीके से हुआ होलिका दहन
worship around fire for traditional Holika Dahan in ajmer city

अजमेर। धार्मिक नगरी अजमेर में बुधवार शाम परंपरागत तरीके से कई स्थानों पर होलिका दहन हुआ। मुख्य मार्गों से लेकर गली मोहल्लों तक में होलिका दहन स्थल पर लोग उमडे।

शहर की कोई कोलानी या मोहल्ला अछूता नहीं रहा जहां होलिका दहन न हुआ हो। शहर की पॉश कॉलोनियों वैशाली नगर, पंचशील, शास्त्री नगर समेत घनी आबादी वाले क्षेत्रों में भी होलिका दहन उत्साह के साथ किया गया। जहां कहीं भी होलिका बनाई गई उस गली चौराहे को अच्छे से सजाया गया। हर तरफ होली के गीतों की गूंज सुनाई पड रही थी।

worship around fire for traditional Holika Dahan in ajmer city
worship around fire for traditional Holika Dahan in ajmer city

पंचशील कॉलोनी में हमेशा की तरह बी ब्लॉक में नीलिमा मैरिज ब्यूरो  कार्यालय neelimamarriage.com के समीप चौराहे पर होलिका दहन किया गया। होलिका दहन से पूर्व परंपरागत तरीके से पूजा अर्चना की गई। मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन हुआ। इस अवसर पर कॉलोनी के सभी लोग मौजूद थे।

धानीनाडी, जोंसगंज, भ्रवानगंज, बिहारीगंज, धोलाभाटा, हाथी भाटा, बापूनगर, सुंदरविला, गंज, घसेटी बाजार, दरगाह बाजार, रामगंज, लोहाखान समेत शहर के पुराने इलाकों में परंपरागत तरीके से होलिका दहन हुआ।

worship around fire for traditional Holika Dahan in ajmer city
worship around fire for traditional Holika Dahan in ajmer city

होलिका दहन की पौराणिक कथा

होली को लेकर एक पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है। हिरण्यकश्यप एक राक्षस राजा था। उनके पुत्र प्रहलाद विष्णु भक्त निकला। बार बार बोलने पर भी प्रह्लाद विष्णु बन जाता थ। हिरण्य कश्यम क्रोधित हुआ एवं कई तरह उनको सजा दी लेकिन प्रह्लाद को भगवान की रक्षा से कुछ भी तकलीफ नहीं हुई।

हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मार डालने के लिए बहन होलिका को नियुक्त किया था। होलिका के पास एक ऐसी चादर थी जिसे ओढ़ने पर व्यक्ति आग के प्रभाव से बच सकता था। होलिका ने उस चादर को ओढ़कर प्रहलाद को गोद में ले लिया और अग्नि में कूद पड़ी।

वहां दैवीय चमत्कार हुआ। चादर प्रह्लाद के ऊपर गिर पडी। होलिका आग में जलकर भस्म हो गई परंतु विष्णुभक्त प्रहलाद का बाल भी बांका न हुआ। भक्त की विजय हुई और राक्षस की पराजय। उस दिन सत्य ने असत्य पर विजय घोषित कर दी। तब से लेकर आज तक होलिका दहन मनाया जाता है।