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वासंतिक नवरात्र : मां दुर्गा का तृतीय स्वरूप माता चंद्रघंटा - Sabguru News
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वासंतिक नवरात्र : मां दुर्गा का तृतीय स्वरूप माता चंद्रघंटा

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वासंतिक नवरात्र : मां दुर्गा का तृतीय स्वरूप माता चंद्रघंटा
worship maa Chandraghanta on the 3rd day of navratri
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लखनऊ। वासंतिक नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा के तृतीय स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा होती है। मां का यह रूप बेहद ही सुंदर, मोहक और अलौकिक है।

चंद्र के समान सुंदर मां के इस रूप से दिव्य सुगंधियों और दिव्य ध्वनियों का आभास होता है। माँ का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है।

माता चंद्रघंटा के मस्तक में घंटे का आकार का अर्धचंद्र है इसलिए इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। इनके शरीर का रंग सोने के समान चमकीला है। इनके दस हाथ हैं।

इनके दसों हाथों में खड्ग आदि शस्त्र तथा बाण आदि अस्त्र विभूषित हैं। इनका वाहन सिंह है, यह वीरता और शक्ति का प्रतिक हैं।

मान्यता है कि जब असुरों का अत्याचार काफी बढ़ा तो देवताओं ने उनके संहार के लिए मां की आराधना की। इसके बाद मां ने चंद्रघंटा के रूप में असुरों का संहार किया।

उपासना मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमरू।।