वॉशिंगटन। अपराध रोकने के लिए हार्वर्ड यूनिर्विसटी के एक अध्ययन ने अमरीका और यूरोप के बड़े नोटों को बंद करने की सिफारिश की है। इससे अपराधियों को वित्तीय लेन देन में दिक्कत होगी।
अगर अमरीका और यूरोप के कीमती नोटों बैंक नोटों को खत्म करने का प्रस्ताव मान लिया जाता है तो नशीली दवाओं के तस्कर और आतंकवादियों को अपने अभियान चलाने में काफी परेशानी हो सकती है।
इसे लेकर हार्वर्ड यूनिर्विसटी का कहना है कि अगर ये बड़े नोट खत्म कर दिए जाते हैं तो ड्रग डीलरों, हथियारों के सौदागरों, आतंकवादियों और टैक्स चोरों के लिए बिना पकड़े गए बड़ी मात्रा में नकदी को इधर उधर ले जाना बहुत मुश्किल और जोखिम भरा हो जाएगा। इस विचार को काफी समर्थन मिल रहा है।
हार्वर्ड यूनिर्विसटी का ये अध्ययन स्टेंडर्ड चार्टर्ड बैंक के पूर्व प्रमुख पीटर सैंड्स की अगुवाई में हुआ है। इस अध्ययन में सुझाया गया है कि बैंकिंग तंत्र को 100 अमरीकी डॉलर, 500 यूरो, 1000 के नोट और 50 ब्रिटिश पाउंड के नोटों के इस्तेमाल से बचने की जरूरत है।
लंबे समय से अपराधियों के बीच में सबसे ज्यादा प्रचलित नोट अमरीकी 100 डॉलर के रहे हैं। लगभग 10 खरब के इन नोटों में से तकरीबन दो तिहाई हिस्सा अमरीका से बाहर प्रचलन में है।
अध्ययन ने इस बात का भी जिक्र किया है कि ऊंची कीमतों वाले नोटों का प्रसार बंद करने से वैध व्यापार पर भी बहुत कुछ असर होगा।
लेकिन इन नोटों को हटा देने से उन लोगों के लिए चीजें ज्यादा कठिन हो जाएंगी जो टैक्स चोरी, वित्तीय अपराध, आतंकियों को सहयोग और भ्रष्टाचार करते हैं। इससे इन लोगों के व्यापार का मॉडल बिखर जाएगा।
बता दें कि दक्षिण अमरीका के कोकीन काउबॉयज हों या इस्लामिक स्टेट जैसे कट्टरपंथी संगठनों के जिहादी या इनके अलावा टैक्स का पैसा चोरी से स्वट्जरलैंड पहुंचाने वाले दुनिया भर के कर चोर, अक्सर वे पिट्ठू बैगों या ब्रीफकेस में 100 और 500 यूरो नोटों को ही भरकर ले जाते हैं।
यूरोपीय सेंट्रल बैंक के मुखिया मारियो द्रागी ने कहा है कि इस बात में दम है कि 500 यूरो के नोटों को बंद करके अपराधों से लड़ने में मदद मिल सकती है। अमरीका के पूर्व वित्तमंत्री लैरी समर्स ने भी प्रमुख केंद्रीय बैंकों से बड़े नोटों की आर्पूति में कटौती करने की अपील की है।