लखनऊ। शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने अधिकांश मुगल शासकों को अय्याश बताया है। ताजमहल पर भी टिप्पणी करते हुए उन्होंने उसे इबादत की जगह मानने से इनकार किया है।
बसीम रिजवी ने मंगलवार को यहां कहा कि कुछ को छोड़कर अधिकतर मुगल शासक अय्याश थे। इसीलिए मुसलमान उन्हें अपना आदर्श नहीं मानते हैं। उन्होंने ताजमहल को भी अय्याशी की निशानी बताई।
दरअसल भाजपा विधायक संगीत सोम ने सोमवार को ताजमहल पर टिप्पणी की थी। इसके बाद ताजमहल समेत मुगलों की अन्य निशानी को लेकर प्रदेश में बयानबाजी का दौर शुरु हो गया है।
शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने इस संबंध में कहा कि दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारत की सूची में दर्ज ताजमहल प्रेम की निशानी हो सकती है, लेकिन यह इबादत का केंद्र कभी नहीं हो सकता है।
अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति लगने के पक्ष में खड़े रिजवी ने इस मामले का विरोध करने वालों पर भी निशाना साधा। कहा कि अयोध्या हिन्दुओं की विरासत का केंद्र है। वहां भगवान राम की मूर्ति लगवाना अच्छा कदम है।
दुर्भाग्य है कि ऐसे महान कार्यों का भी यहां विरोध होता है। रिजवी ने कहा कि जब बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपनी खुद की मुर्तियां लगवायीं तब किसी ने विरोध नहीं किया। फिर आज राम नगरी में भगवान राम की मूर्ति लगवाए जाने का विरोध क्यों?
गौरतलब है कि रिजवी ने अयोध्या में प्रस्तावित राम की मूर्ति लगने का समर्थन किया है। शिया वक्फ बोर्ड की तरफ से उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखकर मूर्ति में श्रीराम के तरकश के लिए चांदी के दस तीर भी बोर्ड द्वारा देने को कहा है।
रिजवी ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि भगवान राम की एशिया की सबसे बड़ी मूर्ति अगर अयोध्या में लगवाई जाती है, तो इससे अयोध्या के साथ-साथ पूरे उत्तर प्रदेश का गौरव बढ़ेगा।