पटना। इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के आतंकवादी तहसीन अख्तर उर्फ़ मोनू को फांसी, कुछ गिरफ्तारियों और अन्य अलग-अलग घटनाओं के कारण बिहार का नाम वर्ष 2016 में भी आतंकवादियों के साथ जुड़ता रहा।
आईएम आतंकवादी तहसीन अख्तर का बिहार के समस्तीपुर का होना, मानव बम के रूप में तैयार किए जा रहे दो बांग्लादेशियों की बिहार से ही हुई गिरफ्तारी, नकली नोटों के कारोबारियों और पकिस्तान से जुड़े साइबर ठगों की बिहार से हुईं गिरफ्तारियां जैसी कुछ घटनाए आतंकवादियों के वर्ष 2016 में भी बिहार कनेक्शन की तरफ इशारा करती हैं।
आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) से तार जुड़ने और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल बोधगया तथा भारतीय जनता पार्टी की हुंकार रैली के दौरान पटना में सीरियल ब्लास्ट के आरोपी इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी तहसीन अख्तर उर्फ़ मोनू को चार अन्य आतंकवादियों के साथ हैदराबाद के दिलसुख नगर ब्लास्ट के मामले में फांसी की सजा दी गई।
बिहार में इस वर्ष हुई घटनाओं के अनुसार भागलपुर में 24 जनवरी को 6 गिरफ्तारियां हुई थीं जो लाटरी के नाम पर ठगी किया करते थे। आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) की कार्रवाई में गिरफ्तार इन ठगों के संबंध आतंकवादियों से होने का पता चला जो पाकिस्तान से जुड़े थे। बाद में एटीएस ने सभी पहलुओं से पूरे मामले की जांच की थी।
आईएस के आतंकवादी बिहार में इस वर्ष कुछ लोगों को आतंकवादी संगठन से जुड़ने का प्रलोभन भी देते पाए गए। इसी से जुड़ा एक मामला 29 जनवरी को कैमूर जिले के भभुआ के अखलासपुर गांव में हुआ।
आईएस के एक कथित सदस्य ने कैमूर जिले के भभुआ के अखलासपुर गांव के रहने वाले मुकेश कुमार को फोन कर संगठन में शामिल होने की पेशकश की थी। बाद में जांच में खुलासा हुआ कि वह फोन मुकेश को पाकिस्तान से आया था।
फोन करने वाले ने अपना नाम तो नहीं बताया था लेकिन खुद को आईएस का सदस्य बताते हुए उसने पैसा देने का लालच दिया था और संगठन से जुड़ने पर और पैसा तथा अन्य सुविधाएं मिलने की बात कही थी। जाली नोटों की खेप भी बिहार में पकड़ी गई।
इस सिलसिले में पश्चिम बंगाल के मालदा से जाली नोटों की एक बड़ी खेप लेकर पांच फरवरी को आये दो तस्करों को जक्कनपुर थाना क्षेत्र के मीठापुर बस स्टैंड से गिरफ्तार किया था और उनके पास से एक हजार और पांच-पांच सौ के दो लाख रुपये के जाली नोट बरामद हुए थे।
बिहार पुलिस को उस समय और बड़ी सफलता मिली जब दो अगस्त को कथित तौर पर आतंकी संगठन आईएस में शामिल होने जा रही सीतामढ़ी की 28 वर्षीय यास्मीन मोहम्मद को उसके बेटे के साथ गिरफ्तार किया। यास्मीन अपने बेटे के साथ अफगानिस्तान जाकर आतंकी संगठन आईएस में शामिल होना चाहती थी।
यास्मीन की गिरफ्तारी तो दिल्ली से हुई थी किन्तु इस घटना ने भी आतंकवादियों के तार बिहार से जोड़ दिए थे। गुजरात पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) की सूचना पर आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त 2015 से भूमिगत आरिफ को एक अक्टूबर को उसके घर औरंगाबाद के नवाडीह मोहल्ले से गिरफ्तार किया गया था।
एक नवम्बर को दो संदिग्ध बंगलादेशी युवकों को गिरफ्तार किया गया था। बरौनी जंक्शन पर दिल्ली जाने वाली 12501 पूर्वोत्तर संपर्क क्रांति एक्सप्रेस के सामान्य डिब्बे से रेल पुलिस ने दोनों संदिग्ध की गिरफ्तारियां हुई थीं। गिरफ्तार संदिग्धों की पहचान मुस्तफा आलम और मोहम्मद सलीम के रूप में की गई।
दोनों संदिग्धों ने त्रिपुरा के अगरतला सीमा पर मात्र चार हजार रुपए देकर भारत में प्रवेश किया था। योजना के अनुसार दोनों को दिल्ली पहुंचने पर किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से जम्मू-कश्मीर पहुंचाया जाना था। गिरफ्तार युवकों के पास से बंगलादेश के तीन, म्यांमार का एक तथा भारत का एक सिमकार्ड बरामद किया गया था।
जांच में यह भी खुलासा हुआ था कि ऐसे युवकों को कुछ रुपयों का प्रलोभन देकर मानव बम के रूप में तैयार किया जाता है। बिहार के किशनगंज, चंपारण, मधुबनी एवं पूर्णियां जिले में हाल में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई तथा आईएम के कई एजेंटों की गिरफ्तारी की गई जिनके पास कुछ ऐसे भी दस्तावेज मिले जिससे राज्य में आतंकी गतिविधियों का पता चला।
गिरफ्तार किए गए इन लोगों के पास से भारी मात्रा में जाली नोट, संवेदनशील स्थानों के नक्शे और विदेशी मुद्राएं भी बरामद की गयीं।
बोधगया में और पटना में 27 अक्टूबर 2013 को भाजपा की हुंकार रैली के दौरान सीरियल बम विस्फोट के एक अभियुक्त इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी तहसीन अख्तर उर्फ मोनू को हैदराबाद के दिलसुखनगर में 21 फरवरी 2013 को विस्फोट के मामले में 19 दिसम्बर 2016 को फांसी की सजा सुनाई गई। मोनू समस्तीपुर जिले के कल्याणपुर थाना क्षेत्र के मनियारपुर गांव का रहने वाला था जिसे 2014 में नेपाल की सीमा से गिरफ्तार किया गया था।