सिरोही। नेताजी भले ही अपनी पार्टी के हाकिम के सामने जमूरे से ज्यादा अहमियत नहीं रखते हों, लेकिन जिले में तो वो अब कद्दवार बन गए है। अब उनके इशारे पर नाच रहे हैं अधिकारी और कर्मचारी।…
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दो महीने पहले तो छुटके नेताओं और बडके नेता के पिछलग्गू ने तो सिपाहीजी को बाकायदा सर्किट हाउस में बुलवा लिया था। कारण शराब के एक मामले में आरोपी की पैरवी करना। आरोपी नेताजई कि पार्टी का था तो पैरवी करना बनता था.
और छुटके नेताओं के स्वयंभू लीडर तो खबरची के सामने यह कहते नजर आए कि अरे हम सिपाही के सामने नहीं सिपाही हमारे सामने हाजिर होगा। यह तो बानगी भर है एक हाकिम तो खुद छुटके नेता की अप्रत्यक्ष पैरवी करते हुए फरियादियों को यह कहते हुए नजर आए कि अच्छे दिन आएंगे तो काम होंगे। तो मदारी बने नेताजी अपने इषारे पर नाचने वाले एक और मुलाजिम को यहां ले आए।
इनसे शहर में विकास करवाने की बजाय छोटे कार्मिको को परेशान कर रहे है, और नौकरी की अंतिम पारी खेल रहे मुलाजिम भी बाउन्ड्री पर कैच होने का डर छोडकर नेताजी की चाकरी में लगे है।
हाकिम का साथ इसलिए डाला हाथ!
अब पब्लिक का मुंह कोई बंद नहीं कर सकता। जितने मुंह उतनी बातें। पिछले दिनों हाइकोर्ट के आदेश के हवाले से माउण्ट आबू में एक निर्माण नेस्तानाबूत किया गया। हाइकोर्ट की रिट में जिन लोगों के भवनों के नाम थे, उन्हें प्रशासन ने बख्शा हुआ है।
अब दिन गुजरने लगे तो बाजार में चर्चाएं तेज होने लगी है। खबरची के सुनने में यह आया कि जिले के एक हाकम माउण्ट आबू प्रवास के दौरान जिस होटल में बैठकर चटखारे लेते हैं, उसका धंधा इनकी वजह से खराब हो रहा था। इसलिए इसे तुडवाने में जल्दबाजी की।
अब मजाक में चर्चा यह भी हो रही है कि दोस्ती में क्रिष्ण -सुदामा से दो कदम आगे जाते हुए हाकिम ने अपने दोस्त का व्यवसाय बचाने के लिए इतना बडा कदम उठवा दिया।