लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमण्डल में पांच महिला विधायक जगह बनाने में सफल रहीं। इनमें रीता बहुगणा जोशी, अनुपमा जायसवाल, स्वाति सिंह, गुलाब देवी और अर्चना पाण्डेय को जगह दी गई है।
रीता बहुगुणा जोशी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। उन्होंने छठे नम्बर पर शपथ ली। वहीं अनुपमा और स्वाति सिंह को राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया है, जबकि गुलाब देवी और अर्चना पाण्डेय राज्य मंत्री बनाई गई हैं।
लखनऊ कैन्ट से विधायक बनी डॉ. रीता बहुगुणा जोशी वर्ष 2012 में कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल करने में सफल हुईं थी। इस बार विधानसभा चुनाव से पहले वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं। पार्टी ने उन्हें कैण्ट से टिकट दिया, जहां उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव से था।
इस चुनाव को बेहद कठिन माना जा रहा था, लेकिन रीता एक बार फिर जनता का भरोसा जीतने में सफल हुई। रीता प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नन्दन बहुगुणा की बेटी हैं। उनके भाई विजय बहुगुणा कांग्रेस की सरकार में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। हालांकि अब भाई-बहन दोनों भाजपा के सदस्य हैं।
रीता के लम्बे राजनैतिक कैरियर और अपर्णा को हराने के कारण माना जा रहा है कि उन्हें कैबिनेट मंत्री पद से नवाजा गया है। इसके अलावा बहराइच से जीती अनुपमा जायसवाल भी मंत्रिमण्डल में जगह बनाने में सफल रहीं। उन्होंने सपा नेता डॉ. वकार अहमद शाह की पत्नी रूबाब सैयदा को मात दी थी।
इससे पहले विधानसभा चुनाव 2012 में अनुपमा को वकार अहमद शाह ने हरा दिया था। अनुपमा जायसवाल भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश महामंत्री भी हैं। अनुपमा की जीत इसलिए भी बेहद खास रही, क्योंकि उनकी सीट पर लगभग 25 सालों से शाह परिवार का कब्जा था।
लगातार जीत दर्ज कराते आ रहा शाह परिवार इस बार अपनी जीत का रिकार्ड बनाने में कामयाब नहीं रह सका। इसी तरह राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाई गईं स्वाति सिंह की बात करें तो वह पार्टी के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह की पत्नी हैं। दयाशंकर सिंह बसपा मुखिया मायावती को अपशब्द बोलने के कारण चर्चाओं में आए थे, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया था।
इसके बाद बसपा की ओर से जब स्वाति सिंह और उनकी बेटी पर अपमानजनक शब्दों की बौझार हुई तो स्वाति सिंह खुलकर सामने आ गयीं। उन्होंने मायावती के खिलाफ भी चुनाव लड़ने का ऐलान किया। स्वाति के इस कदम का जनता ने भी अपार समर्थन किया।
इसके बाद पार्टी ने उन्हें सरोजनीनगर विधानसभा से टिकट दिया और उन्होंने सपा मुखिया अखिलेश यादव के चचेरे भाई अनुराग यादव को हराकर जीत दर्ज की। स्वाति पार्टी की महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष भी हैं।
अपने संघर्ष, योग्यता की बदौलत वह मंत्री बनने में सफल हुई हैं। संभल की चन्दौसी विधानसभा से विजयी हुई विधायक गुलाब देवी को मंत्री बनाए जाने के बाद उनके ज़िले में खुशियों का माहौल है। कार्यकर्ता मिठाइयां बांटकर खुशियां मना रहे हैं।
गुलाब देवी के राजनीतिक करियर पर नजर डालें तो उन्होंने वर्ष 1989 एवं 1990 में सभासद का चुनाव लड़ा और जीतीं और इसके बाद उनका राजनैतिक करियर परवान चढ़ा। 1991 में जब भाजपा के टिकट पर गुलाब देवी ने चुनाव लड़ा तो पहली बार चुनाव में जनता दल के यादराम को उन्होंने हराया।
वर्ष 1993 में हुए उपचुनाव में उन्हें सपा के करन सिंह से हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 1996 में गुलाब देवी ने फिर इस सीट से जीत हासिल की और बसपा से चुनाव लड़े करन सिंह को हराया।
वर्ष 2007 में गुलाब देवी को बसपा प्रत्याशी गिरीश चन्द्र से हार का मुंह देखना पड़ा और वर्ष 2012 में सपा प्रत्याशी लक्ष्मी गौतम ने उनके खिलाफ जीत दर्ज की। इस बार गुलाबो देवी ने जिले की सबसे बड़ी जीत दर्ज कर रिकॉर्ड कायम किया और योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमण्डल में जगह बनाने में सफल रहीं।
छिबरामऊ सीट से विधायक अर्चना पाण्डेय की बात करें तो योगी सरकार में उन्हें भी लाल बत्ती मिली है। भाजपा के कद्दावर नेता रहे पूर्व सहकारिता मंत्री रामप्रकाश त्रिपाठी की पुत्री अर्चना पाण्डेय एक दशक से छिबरामऊ क्षेत्र में राजनीति में सक्रिय हैं। उनकी सक्रियता को देखते हुए भाजपा ने 2012 में उन्हें टिकट दिया था, लेकिन अर्चना को हार नसीब हुई।
हालांकि उन्होंने क्षेत्र में अपनी जमीनी पकड़ बनाकर इस चुनाव में 27.35 फीसदी मत हासिल कर अपनी उपस्थिति का अहसास करा दिया था। वहीं इस बार उन्होंने छिबरामऊ में कमल खिलाने में सफलता हासिल की। इससे पहले उनके पिता स्व. त्रिपाठी इस सीट से 1993 और 2002 में विधायक भी रह चुके हैं।
राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रिमण्डल में महिलाओं को जगह देते समय जहां सामाजिक समीकरण का ध्यान रखा है, वहीं इस बात को भी अच्छी तरह परखा है कि ये महिला नेताएं जमीनी स्तर पर कितनी मजबूत हैं।
जिन महिलाओं को मंत्री बनाया गया है, इन सभी का राजनैतिक इतिहास संघर्षों वाला रहा है, ये सभी पार्टी की नीतियों पर अमल करते हुए जनता का विश्वास जीतने में सफल हुई हैं और कहीं भी पुरूष विधायकों से कमतर नहीं है।
इसलिए इनका सम्मान करते हुए आधी आबादी को सन्देश देने की कोशिश की गई है भाजपा सरकार उनके मुद्दों को लेकर बेहद गम्भीर है।