लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई अन्य नेताओं पर दर्ज मुकदमे वापस लेने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक की अनुमति के बाद सरकार की ओर से आदेश जारी कर दिया गया।
विधानसभा में यूपीकोका बिल को लेकर जारी बहस के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि जनप्रतिनिधियों सहित राजनीतिक लोगों के खिलाफ तमाम राजनीतिक मुकदमे दर्ज हो जाते हैं। 106/107 सहित कई केस ऐसे होते हैं, जिनके दर्ज होने का पता तब चलता है जब वारंट आता है।
ऐसे मामलों में कई बार गैर जमानती वारंट जारी हो जाते हैं। राज्य सरकार ऐसे 20 हजार मुकदमों को समाप्त करने जा रही है, जिसके बाद 21 दिसंबर को ही उप्र दंड विधि (अपराधों का शमन और विचारणों का उपशमन) (संशोधन) विधेयक, 2017 भी पेश कर दिया।
राज्यपाल की अनुमति मिलने के बाद सरकार की तरफ से प्रदेश भर के जिलाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि नेताओं के खिलाफ दर्ज राजनीतिक मुकदमों को वापस लेने की कार्यवाही शुरू कर दी जाए। गोरखपुर जिलाधिकारी को भी एक पत्र भेज कर 1995 में दर्ज मुकदमा वापस लेने के लिए कोर्ट में आवेदन करने के लिए निर्देशित किया गया है।
गोरखपुर के पीपीगंज थाने में योगी आदित्यनाथ, राकेश सिंह पहलवान, कुंवर नरेंद्र सिंह, समीर कुमार सिंह, शिवप्रताप शुक्ला, विश्वकर्मा द्विवेदी, शीतल पांडेय सहित 13 लोगों के खिलाफ निषेधाज्ञा लागू होने पर भी धरना-प्रदर्शन करने के कारण केस दर्ज किया गया था।
योगी के खिलाफ मामले में गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया था। अब राज्य सरकार द्वारा आदेश जारी किए जाने के बाद मुकदमा वापस लेने के लिए कोर्ट में आवेदन दिया जाएगा।
वहीं गोरखपुर के अपर जिलाधिकारी रजनीश चंद्रा ने इस बात की पुष्टि की है कि शासन की तरफ से केस वापसी के लिए आवेदन करने का आदेश आया है, जिसके बाद अभियोजन अधिकारी को संबंधित कोर्ट में आवेदन करने के लिए कहा गया है।