नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने गुरुवार को आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर को कड़ी फटकार लगाई। रविशंकर ने एओएल के विश्व संस्कृति महोत्सव के दौरान यमुना के इलाके को नुकसान पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार और एनजीटी को ही जिम्मेदार बताया था।
इसी पर एनजीटी ने उन्हें आड़े हाथ लिया। एनजीटी के अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार ने कहा कि सिर्फ एक आवेदन दर्ज कर देने से आप को स्वतंत्रता नहीं मिल जाती की आप जो चाहे कहें। आप के अंदर जिम्मेदारी का कोई अहसास नहीं है।
याचिकाकर्ता मनोज मिश्रा की तरफ से वकील संजय पारिख ने पीठ को रविशंकर के बयान के बारे में बताया, जिसमें उन्होंने सरकार और एनजीटी को एओएल को बीते साल यमुना खादर में विश्व संस्कृति महोत्सव के आयोजन की अनुमति देने के लिए जिम्मेदार ठहराया था। इसी के बाद पीठ ने यह टिप्पणी की।
रविशंकर ने बुधवार को अपने बयान में कहा था कि अगर यमुना इतनी ही नाजुक है, तो फिर वहां कार्यक्रम की अनुमति ही क्यों दी गई।
रविशंकर ने यह भी कहा कि जुर्माना उन पर नहीं बल्कि एनजीटी और केंद्र व दिल्ली सरकार पर उत्सव को आयोजित करने की अनुमति देने के लिए लगाया जाना चाहिए।
रविशंकर के बयान पर पीठ ने नाराजगी दर्ज करते हुए एओएल को आपत्ति दर्ज लिए दो सप्ताह का समय दिया और मामले की सुनावाई के लिए अगली तारीख 9 मई तय कर दी।
रविशंकर ने गुरुवार को फिर कहा कि एओएल ने यमुना खादर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया।
उन्होंने ट्वीट किया कि जो यह कह रहे कि ऑर्ट ऑफ लिविंग गैर जिम्मेदार है, वे या तो आम तौर पर हमें जानते ही नहीं हैं या उनमें मजाक की समझ पैदा हो गई है।
उन्होंने कहा कि सच यह है कि हमने यमुना को कोई क्षति नहीं पहुंचाई। जब झूठ का पर्दाफाश होता है, तब झटका लगता है।
रविशंकर ने कहा कि एनजीटी द्वारा नियुक्त की गई समिति अपनी रिपोर्ट में ‘गैर जिम्मेदार और असंगत’ रही है।
जल संसाधन मंत्रालय के पूर्व सचिव शशि शेखर की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति ने कहा कि इस बड़े समारोह की वजह से यमुना खादर क्षेत्र को हुए प्रतिकूल नुकसान से निपटने और पारिस्थितिकीय पुनर्वास में एक दशक का समय व 42.02 करोड़ रुपये लगेंगे।