कानपुर। आसमान को मुठ्ठी में कर लिया उसने, लेकिन मौत से हार गया। उसकी मौत पर उसके परिवार वालों के साथ-साथ हजारों लोगों की आँखें नम हो गयी। ये दुखद घटना घाटमपुर कोतवाली क्षेत्र के भीतरगॉव ब्लाक के चिलहंटा गॉव में रहने वाले एयरफोर्स जवान के साथ घटी।
यहां पर वह बीमार पिता का इलाज कराने के लिए छुट्टी पर आया था और डेंगू की चपेट में आने से उसकी असमय मौत हो गई। सोमवार को जवान का अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें हजारों लोगों का सैलाब उमड़ और श्रद्धांजलि देने पहंुचे।
दरअसल भीतरगॉव ब्लाक के चिलहंटा गॉव निवासी लक्ष्मी नारायण का 21 वर्षीय बेटा सबल सिंह एयरफोर्स का जवान था। ट्रेनिंग के बाद उसकी पहली पोस्टिंग असम के जिला जोरहाट में हुई थी। दशहरा के दौरान जवान बीमार पिता का इलाज कराने के लिए छुट्टियांे पर घर आया था। यहां पर जवान संक्रामक बीमारी की चपेट में आ गया। जिसे इलाज के लिए चकेरी स्थित एयरफोर्स अस्पताल में भर्ती कराया।
जांच के दौरान जवान के डेंगू की पुष्टि के बाद लगातार डाक्टर उपचार कर जल्द सुधार की बात कही जा रही थी। लेकिन रविवार को अचानक जवान की हालत बिगड़ गई और जवान की सांसे थम गई। बेटे की मौत की खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। यह खबर गांव में जंगल में लगी आग की तरह फैल गई और आसपास गांवों के ग्रामीणों का हुजूम जवान के घर पर उमड़ पड़ा।
अपने जवान की मौत पर एयरफोर्स के अधिकारी बीएस पोरवाल की अगुवाई में जवानों की एक टुकड़ी शव लेकर गॉव पहुंची। सोमवार को जवान के पार्थिर शरीर को नजबगढ़ गंगा घाट पर गार्ड आफ आनर के बाद पंचतत्व में विलीन कर दिया गया। परिजनों व रिश्तेदारों के साथ हजारों लोगों की उमड़ी भीड़ की आंखें नम थी। इस दौरान कई पार्टियों ने नेतागण सहित समाजसेवी व जिला प्रशासन के अफसर मौजूद रहे।
टूट गई आशाएं
अविवाहित एयरफोर्स जवान सबल सिंह के परिवार में पिता लक्ष्मीनरायन के अलावा मां रामादेवी, बहनें विभा और शुभा व भाई अजय हैं। बेटे की मौत पर परिजनों हाल, बेहाल है। साधारण किसान परिवार में जन्मे जवान की नौकरी लगने के बाद परिजनों को सुनहरे भविष्य की आश बंधी थी जो उसकी मौत के साथ टूट गई। परिजन अब रोते हुए यह कह रहे है कि इससे तो अच्छा होता