नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने पुलिस में कार्यरत एक महिला को शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म करने वाले युवक को सात वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई।
जिरह के दौरान पीडि़ता के अपने पूर्व में दिए गए बयान से मुकर जाने के बावजूद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एम सी गुप्ता ने उसके पहले के बयान को आधार बनाते हुए युवक को सजा सुनाई है।
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के अब मुकर जाने से उसका पूर्व का बयान झूठा साबित नहीं हो जाता क्योंकि वह बयान स्वाभाविक, स्पष्ट, विश्वसनीय और भरोसा करने लायक था। पूर्व के बयान को सही ठहराने वाले कई साक्ष्य भी मौजूद हैं।
अदालत ने कहा कि अदालत ने भसीन को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत दुष्कर्म का दोषी ठहराते हुए सात साल के कठोर कारावास की सजा के साथ उस पर 20 हजार रुपए का जुर्माना भी ठोंका हैं। अदालत ने कहा कि दुष्कर्म एक महिला ही नहीं बल्कि पूरे मानव समाज के प्रति अपराध है।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक पीडि़ता की शिकायत पर पुलिस ने भसीन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। पीडि़ता दिल्ली पुलिस में चतुर्थ श्रेणी की कर्मचारी है और उसका अपने पति से तलाक हो चुका है। पीडि़ता के अनुसार भसीन ने शादी करने का झांसा देकर उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया।
पीडि़ता ने अपनी शिकायत वापस लेने के लिए सत्र अदालत के अलावा उच्च न्यायालय में भी गई और बाकायदा लिखित अर्जी देकर कहा कि वह पुलिस में दर्ज रिपोर्ट पर युवक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं चाहती क्योंकि उसने युवक के साथ अपनी मर्जी से शारीरिक संबंध बनाए थे। लेकिन उच्च न्यायालय ने इससे इनकार कर दिया।
सत्र न्यायालय ने भी पीडि़ता के बाद में दिए गए बयान को संज्ञान में नहीं लिया और पूर्व में दिए गए बयान के आधार पर ही सजा सुनाई।