पटना। बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पर सोमवार को पटना में आयोजित जनता दरबार के दौरान एक व्यक्ति ने जूता फेंक दिया। हालांकि जूता निशाने पर नहीं लगा। जूता फेंकने वाले युवक को गिरफ्तार कर लिया गया है।
इस घटना के बाद मांझी ने मुस्कुराते हुए कहा कि वह उस व्यक्ति के मंतव्य को समझने में विफल हो गए। जूता फेंकने वाले व्यक्ति की पहचान सारण जिला निवासी अमृतोष कुमार के रूप में हुई है।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि फेंका गया जूता मांझी से चार-पांच फुट आगे गिरा। इसे देखकर वह दंग रह गए, क्योंकि उन्होंने इस तरह की घटना की कभी उम्मीद नहीं की थी।
पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जितेंद्र राणा ने कहा कि जनता दरबार में हंगामा करने के लिए एक व्यक्ति जितेंद्र राणा को गिरफ्तार किया गया है। जितेंद्र राणा ने पुलिस को बताया है कि उसके द्वारा वह घटना सुनियोजित थी और पुलिस पूछताछ के दौरान उसने यह स्वीकार किया।
उसने पुलिस को बताया कि वह गुस्से में था, क्योंकि कई बार जनता दरबार में आने के बावजूद उसका काम नहीं हुआ था। इसके कारण वह परेशान था। उसने कहा कि मांझी ने राज्य में कोई भी विकास कार्य नहीं किया और बिहार में जातिगत राजनीति करने में शामिल रहे।
मुख्यमंत्री के आवास पर हर सप्ताह जनता दरबार का आयोजन किया जाता है। इस दौरान वे लोगों से मिलते हैं और उनकी समस्याएं सुनते हैं। साल 2006 में पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी शुरूआत की थी।
कई राजनीतिक पार्टियों ने इस घटना की निंदा की और इसे विरोध का अलोकतांत्रिक तरीका करार दिया। वहीं सत्तारूढ़ जनता दल युनाइटेड, उसकी सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल तथा कांग्रेस ने जूता हमले की जांच की मांग की। उधर भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि यह घटना मुख्यमंत्री के प्रति बढ़ती निराशा को दर्शाती है।