मुंबई। शिवसेना ने मुस्लिम धर्मगुरु डॉ. जाकिर नाईक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन पर जहां पाबंदी लगाने की मांग की है, वहीं नाईक के खिलाफ गुरुवार को मुंबई में विरोध प्रदर्शन किया गया।
प्रदर्शनकारी नाईक के भाषणों और उनकी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे थे। नाईक के डोंगरी स्थित ऑफिस के बाहर पुलिसिया सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा है कि उन्होंने केन्द्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखकर देशहित में नाईक और इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन पर पाबंदी लगाने की मांग की है।
बकौल सावंत, देश की एकता के खिलाफ हिंसा फैलाने वाली भाषा बोलने वालों पर पाबंदी लगानी चाहिए। इस्लाम प्रेम व शांति सिखाता है, लेकिन अब हर रोज हाई अलर्ट वाला दिन रहता है। मैं गृह मंत्री से अपील करता हूं कि कार्रवाई किए जाने की जरूरत है।
देश में नौजवान आईएस में कैसे शामिल होते हैं? हो सकता है कि हम कहीं नाकाम हो रहे हों। हमें हालात की गंभीरता को समझना चाहिए। कट्टरपंथी मन अब कोई भी कदम उठा सकता है। इस्लाम के नाम पर वे ऐसे लोगों को मौत के घाट उतार रहे हैं जो आयतें नहीं सुना पा रहे।
इसी बीच नाईक के डोंगरी कार्यालय के बाहर जमकर प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारी नाईक के भाषणों और उनकी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे थे। इसी बीच पता चला है कि बांग्लादेश ने डॉ नाईक के भाषणों की जांच करने को कहा है तो सूचना मंत्री हसनुल हक इनु ने कहा कि बांग्लादेश के मौलानाओं से कुछ शिकायतें मिली है कि नाईक के उपदेश कुरान के ज्ञान और हदीस के मुताबिक नहीं हैं।
मैं भारत सरकार से यह अनुरोध करता हूं कि वह जाकिर नाईक के उपदेशों के संदर्भ की जांच करें। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते ढाका के एक रेस्त्रां में हमला करने वाले आतंकियों में से एक नाईक के नफरत फैलाने वाले भाषणों से प्रेरित था। भारी विरोध के चलते डॉ नाईक के सुर बदल गए हैं।
अब तक सभी मुस्लिमों को कथित रूप से आतंकी बनने की सलाह देने वाले जाकिर नाईक के सुर अब बदल गए हैं। उन्होंने आईएस को गैर इस्लामी करार दिया है। नाईक ने कहा, जो संगठन निर्दोष लोगों की हत्या करता हो, उसका स्वयं को इस्लामी स्टेट कहना इस्लाम का अपमान होगा। उसे तो गैर इस्लामी स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया कहना चाहिए।