नई दिल्ली। राजीव गांधी फाउंडेशन ने विवादास्पद इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक के एक एनजीओ से 50 लाख रुपए का चंदा लिया था हालांकि नाइक के विवादों में घिरने के बाद इसे लौटा दिया गया।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार एनजीओ ने राजीव गांधी फाउंडेशन से संबद्ध संस्था राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट (आरजीसीटी) को 2011 में चंदा दिया था। यह संस्था बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने और जरूरतमंदों का अस्पताल खर्च उठाने के लिए आर्थिक सहायता देती है।
इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) के प्रवक्ता आरिफ मलिक के अनुसार आरजीसीटी को धन दिया गया था। यह संगठन भी 2011 में एफसीआरए के तहत पंजीकृत था। ढाका के एक रेस्तरां में आतंकी हमले के बाद जाकिर नाइक के विवादों में आने पर इस साल जुलाई में आरजीसीटी ने धन एनजीओ को लौटा दिया था।
वहीं मलिक का कहना है कि सरकार दिसंबर 2014 से 2015 की शुरुआत तक चली कुछ महीने की जांच के दौरान कोई सबूत हासिल नहीं कर पाई जिसके बाद संगठन पर पाबंदी लगाने की पूर्व नियोजित धारणा से सरकार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि मेरा सीधा सा सवाल है। क्या चंदा देने में कुछ गलत था?
इस्लामी उपदेशक नाइक द्वारा संचालित आईआरएफ इन आरोपों के कारण विवाद में घिरा है कि वह आतंकवाद के लिए युवाओं को उकसाता है। आईआरएफ प्रवक्ता ने कहा कि नई सरकार के काबिज होने के बाद पूरी जांच की गई लेकिन उन्हें संस्था के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिल सका।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने माना की चंदा लिया गया था पर दावा किया कि यह मांगा नहीं गया था। सिंघवी ने कहा कि आईआरएफ पर आतंकवाद और जबरन धर्मांतरण के आरोपों में फंसने से पहले चंदा लिया गया था। उस समय नाइक का एनजीओ निगरानी सूची में नहीं था।
सिंघवी ने कहा कि चंदे का पता अचानक से चला जब हालिया घटनाक्रम घटा। कुछ महीने पहले धन वापस कर दिया गया। विदेशी योगदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत पंजीकृत आईआरएफ जैसे संगठनों को विदेश से प्राप्त धन को एफसीआरए के तहत पंजीकृत दूसरे संगठनों को पैसा देने की अनुमति है। आरजीएफ और आरजीसीटी दोनों के पास एफसीआरए लाइसेंस है।
आरबीआई पर सीधे जाकिर नाइक के संगठन को धन जारी करने पर लगी रोक
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