पटना। केन्द्र सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कार्यों को पारदर्शी और लीकप्रूव बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन प्रयासों से उत्साहजनक परिणाम मिलने शुरू हो गए हैं।
बड़ी संख्या में अपात्र/जाली राशन कार्डों को समाप्त किए जाने के कारण पिछले 2 वर्षों के दौरान लगभग 10 हज़ार करोड़ रुपए की खाद्य सब्सिडी को बेहतर ढंग से लक्षित किया गया है। हमने दो साल के भीतर लीकेज रहित सार्वजनिक वितरण प्रणाली’ का लक्ष्य रखा है।
मंगलवार को पटना में केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने सरकार के दो साल पूरे होने पर अपने मंत्रालय की उपलब्धियों के बारे में एक सेमीनार और प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान यह जानकारी दी।
केन्दीय मंत्री पासवान ने कहा कि केन्द्र सरकार लगातार राज्य सरकारों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली को पारदर्शी एवं उपभोक्ताओं के अनुकूल बनाने के लिए कहती रही है। इस संबंध में कम्प्यूटरीकरण के लिए 884 करोड़ रुपए की लागत से एक परियोजना शुरू की गई है। अब तक इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त हुई हैं।
सभी राज्यों में राशन कार्डों का डिजिटीकरण कर दिया गया है और कार्डों का विवरण सभी राज्यों के पारदर्शिता पोर्टल पर उपलब्ध है। 25 राज्यों में राशन डीलरों को खाद्यान्नों का आवंटन ऑनलाइन किया जा रहा है।
12 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में आपूर्ति श्रृंखला का कम्प्यूटरीकरण कर दिया गया है और सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में ऑनलाइन शिकायत निवारण सुविधा अथवा टॉल-फ्री हैल्पलाइन शुरू कर दी गई है।
पासवान ने बताया कि राज्यों से राशन कार्डों के डाटाबेस में आधार नम्बर को जोड़ने का भी अनुरोध किया गया है। वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर पर 54.79% राशनकार्डों को आधार नम्बर के साथ जोड़ा जा चुका है।
पूरे देश में बायोमैट्रिक उपकरण लगा कर 1 लाख 11 हज़ार 772 उचित दर दुकानों को स्वचलित बना दिया गया है और यह संख्या मार्च, 2017 तक 3 लाख 6 हज़ार 526 हो जाने की संभावना है।
रामविलास पासवान ने बताया कि सरकार भंडारण के दौरान खाद्यान्नों की बर्बादी को ‘शून्य स्तर’ पर लाने की योजना पर भी कार्य कर रही है। 6 स्थानों पर 2.5 लाख टन क्षमता के आधुनिक स्टील साइलो का निर्माण शुरू कर दिया गया है और 27 स्थानों पर इसी प्रकार के साइलो बनाए जाने का प्रस्ताव है।
भारतीय खाद्य निगम के कार्यों की मॉनीटरिंग करने के लिए डिपो-ऑनलाइन शुरू कर दिया गया है और इस वर्ष जुलाई तक सभी 535 डिपो को ऑनलाइन कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा मुहैया कराना सरकार का नारा नहीं है। यही वजह है कि देश में 33 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लागू हो गया है, जिसके तहत लगभग 72 करोड़ लोगों को 2 रुपए किलो गेहूं और 3 रुपए किलो चावल उपलब्ध कराया जा रहा है, जबकि वर्तमान सरकार द्वारा कार्यभार संभाले जाने के समय खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने वाले राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की संख्या केवल 11 थी।
उन्होंने बताया कि इसी प्रकार सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों से नई पहल की है और इस उद्देश्य से एक अधिनियम संसद में पहले ही रखा जा चुका है। अब उपभोक्ता घर बैठे ही अपने मामलों को ऑनलाइन दर्ज़ करा सकेंगे।
इसके लिए उपभोक्ताओं को अपने मामले दर्ज़ कराने के लिए कई वर्षों तक इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि 21 दिन बाद ऐसे मामले अपने आप दायर हुए समझे जाएंगे। बताया कि उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण के पास यह शक्तियां होंगी कि वह वस्तुओं और सेवाओं में पाई गई कमियों के लिए स्वत: नोटिस दे सके, ताकि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा की जा सके।
खाद्य प्रबंधन में सुधार निरंतर प्रयासों से लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं जिससे खाद्य सब्सिडी को बेहतर ढंग से लक्षित करने और पारदर्शिता लाने में मदद मिली है। इस उद्देश्य के लिए निम्नानुसार सुधार किए गए हैं।