हरारे। जिम्बाब्वे में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच अफ्रीकी संघ (एयू) ने कहा है कि जिम्बाब्वे की सैन्य कार्रवाई और राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे की नजरबंदी तख्तापलट जैसी स्थिति लगती है। एयू प्रमुख अल्फा कोंडे ने कहा कि संघ ने इस कदम को तुरंत वापस लेने की मांग की है।
वहीं, सेना ने तख्तापलट की बात का खंडन करते हुए कहा कि मुगाबे सुरक्षित हैं और यह कार्रवाई उनके खिलाफ नहीं बल्कि उनके आसपास मौजूद अपराधियों के खिलाफ की गई है।हालांकि उनका यह कदम मुगाबे को पद से हटाने की दिशा में एक शक्ति प्रदर्शन है।
मुगाबे ने पिछले सप्ताह उत्तराधिकारी को लेकर हुए विवाद के बीच उपराष्ट्रपति एमर्सन मन्नगागावा को बर्खास्त कर दिया था, जिसके बाद उनकी पत्नी ग्रेस के उत्तराधिकारी बनने की संभावना बढ़ गई थी।
ब्रिटेन से 1980 में आजाद होने के बाद से जिम्बाब्वे की राजनीति में मुगाबे (93) का वर्चस्व रहा है। एयू ने कहा कि इस कदम से लगता है कि जिम्बाब्वे की सेना ने स्पष्ट तौर पर सत्ता हथियाने का प्रयास किया है।
बयान में कहा गया है कि एयू इस स्थिति को लेकर गंभीर रूप से चिंतित है और उसने देश की कानूनी संस्थाओं को अपना पूरा समर्थन देने की बात कही है। तनाव और अफवाह के बाद सेना ने मंगलवार देर रात सरकारी चैनल ‘जेडबीसी’ पर कब्जा कर लिया था।
सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल सिबुसिसो मोयो ने टेलीविजन चैनल पर अपने संदेश में कहा था कि सेना केवल मुगाबे के आसपास के अपराधियों को निशाना बना रही है। उन्होंने कहा था कि यह कार्रवाई सेना द्वारा सरकार का तख्तापलट नहीं है।
मोयो ने कहा था कि राष्ट्रपति और उनका परिवार सुरक्षित है और हमारी ओर से उनकी सुरक्षा की गारंटी है। यह हालांकि स्पष्ट नहीं है कि इस सैन्य कार्रवाई का नेतृत्व कौन कर रहा है।
हरारे की सड़कों पर सैन्य वाहनों के उतरने के बाद हरारे के कई उपनगरों से गोलियों की आवाजें सुनाई दीं हैं, जहां मुगाबे व कई सरकारी अधिकारी रहते हैं।
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा के कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति जुमा ने राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे से बात की है जिसमें मुगाबे ने संकेत दिया कि वह अपने घर में नजरबंद हैं लेकिन वह सुरक्षित हैं।
वहीं, मुगाबे व उनकी पत्नी को ओर से कोई प्रत्यक्ष बयान जारी नहीं हुआ है और उनकी पत्नी कहां हैं इस बारे में भी कोई सटीक जानकारी नहीं है।
मुगाबे ने पिछले सप्ताह उपराष्ट्रपति एमर्सन मन्नगागावा को बर्खास्त कर दिया था, जिसके बाद से ही जिम्बाब्वे में राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है।