भारत कि विभिन्नता में एकता की सोच को यहां के, धर्म, प्रदेश, भाषा और संस्कृति के साथ प्राकृतिक विशेषताएं भी दर्शाती है। देश का हर हिस्सा अपनी प्राकृतिक विशेषताओं के साथ दुनिया में अपनी खास पहचान बनाए हुए है।
जब बात देश के पूर्वोत्तर राज्यों कि आती है तो यहां कि प्राकृतिक सुंदरता और बदलते मौसम के चलते यह पर्यटकों का खास आर्कषण का केन्द्र है। यहां कि कला और हस्तशिल्प की भव्य विरासत व रंग बिरंगे त्यौहार प्रकृति की अपार शक्ति में लोगों के विश्वास को दर्शातें है। इन्हीं राज्यों में से एक है अरुणाचल प्रदेश का प्राचीन शहर ‘जाइरो’, यह समुद्र तल से 5754 फीट (1,780 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है। अपनी खूबसूरती की वजह से ही यह शहर यूनेस्को के विश्व विरासत स्थलों में से एक हैं।
असल में जाइरो एक छोटा सा हिल स्टेशन है जो पाइन के पेड़ों से भरी पहाड़ियों से घिरा हुआ है। पूरे क्षेत्र में फैले घने जंगल ही आदिवासी लोगों के घर हैं, यह क्षेत्र अपनी धान की खेतों की वजह से भी काफी मशहूर है। जाइरो पेड़-पौधों और जन्तुओं के मामले में काफी धनी है। यहां के लोग प्रकृति को भगवान की तरह पूजते हैं।
त्यौहार ही त्यौहार
यहां के लोग खेतो के अलावा हस्तशिल्प तथा हैन्डलूम उत्पादों को बनाकर अपना जीवनयापन करते हैं। अन्य आदिवासी लोगों से अलग अपा टनी के लोग जाइरो क्षेत्र के स्थाई निवासी हैं। अपा टनी द्वारा मनाए जाने वाले कई पर्व हैं जिनमें मार्च में मनाया जाने वाला म्योको त्यौहार, जनवरी में मनाया जाने वाला मुरुंग त्यौहार और जुलाई का द्री त्यौहार प्रमुख हैं।
देखने लायक पर्यटन स्थल
अगर आप जाइरो जाने की योजना बना रहे हैं तो आप हरी-भरी शांन्त टैली घाटी, 5000 हजार साल पुरानी मेघना गुफा मंदिर जा सकते हैं। यही नहीं खूबसूरत पक्षियों और सूर्योदय के खूबसूरत दृश्य देखना है तो यहां के लोकप्रिय पर्यटन स्थल पाखो भी जा सकते हैं, जिसे आर्मी पूटु के नाम से भी जाना जाता है। आजादी के बाद यहां पर अरुणाचल प्रदेश के पहले प्रशासनिक केन्द्र की स्थापना की गई थी। इसके बाद छठे दशक में यहां पर सेना के कैम्प का निर्माण किया गया। जबकि वहीं तारीन मछली फार्म पर्यटकों कि पसंदीदा जगहों में से एक है। 3.5 किमी. की दूरी पर स्थित, यह बहुत ही खूबसूरत जगह है। यहां आने वाले पर्यटक अनेक प्रजातियों की खूबसूरत मछिलयों को देख सकते हैं।
कब और कैसे पहुंचे
जाइरो की जलवायु मौसम के अनुसार बदलती है, वैसे तो पर्यटक पूरे साल भर जाइरो जाते हैं लेकिन यहां के मनमोहक दृश्यों को देखने का सुहाना मौसम अक्टूबर तथा नवम्बर है। तेजपुर, जाइरो पहुंचने का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है, यह जाइरो से 300 किमी की दूरी पर है, जबकि इटानगर से जाइरो के लिए राज्य सरकार की बसें चलती हैं। यहां तक कि यहां आप हवाई यात्रा करके भी पहुंच सकते है, यहां तेजपुर में ही सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है, यहां पहुंचने के बाद आप जाइरो के लिए टैक्सी ले सकते हैं।
यह भी पढ़े :-
घूमने फिरने यानी टूर एंड ट्रेवल की खबरों के लिए यहां क्लीक करें