पटना। बिहार के लिए शपथ के ये शब्द ‘मैं नीतीश कुमार’ नएये नहीं हैं, लेकिन कड़े संघर्ष, बड़ी चुनौतियों और कई तरह के उतार-चढ़ाव से गुजरकर हमेशा अपनी शर्तों पर राजनीति करने वाले नीतीश कुमार ने जबरदस्त सियासी घमासान के बाद आज नौवीं बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और देश की मौजूदा राजनीति को बता दिया….मैं नीतीश कुमार।
राष्ट्रीय जनता दल नीत महागठबंधन से नाता तोड़ फिर से भारतीय जनता पार्टी एवं अन्य सहयोगी दलों के समर्थन से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार की अगुवाई करने वाले नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के जंगलराज के खिलाफ जोरदार अभियान चलाने के बाद पहली बार 3 मार्च 2000 को बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली लेकिन केवल सात दिनों की संक्षिप्त अवधि के लिए ही मुख्यमंत्री बने रहे। वह सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाए।
कुमार ने 24 नवंबर 2005 को फिर से भाजपा के साथ गठबंधन में सरकार बनाई और तब से 20 मई 2014 से 21 फरवरी 2015 तक लगभग दस महीने की संक्षिप्त अवधि को छोड़कर बिहार के मुख्यमंत्री रहे। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी जनता दल यूनाइटेड की हार की जिम्मेवारी लेते हुए उन्होंने जीतनराम मांझी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया था। उन्होंने वर्ष 2013 में नरेंद्र मोदी को भाजपा का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के बाद भाजपा के साथ 17 साल पुराना गठबंधन तोड़कर वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव अकेले जबकि वर्ष 2015 का बिहार विधानसभा चुनाव राजद के साथ गठबंधन में लड़ा था।
कुमार वर्ष 2017 में राजद पर भ्रष्टाचार और राज्य में शासन का गला घोंटने का आरोप लगाते हुए फिर से राजग में लौट आए और इसी गठबंधन में रहकर वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव और 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा। कुमार ने वर्ष 2022 में फिर से भाजपा पर उनके खिलाफ साजिश रचने और जदयू विधायकों को उनके खिलाफ विद्रोह करने के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए राजग का साथ छोड़ दिया और राज्य में राजद, कांग्रेस और वाम दलों के साथ महागठबंधन की सरकार बनाई।
इससे पहले कुमार वर्ष 1996 में जॉर्ज फर्नांडीस के साथ समता पार्टी की स्थापना की और इसके दो साल के भीतर भाजपा नीत गठबंधन में शामिल हो गए और अटल बिहार वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार में मंत्री बनाए गए। इसी तरह वर्ष 2003 में श्री शरद यादव से अलग होने के बाद लालू प्रसाद यादव ने राजद का गठन किया तो नीतीश कुमार ने समता पार्टी का जनता दल में विलय कर दिया और नई पार्टी का नाम जनता दल यूनाइटेड रखा।
ग़ौरतलब है कि वर्ष 1974 के छात्र आंदोलन के बाद से राजनीति में सक्रिय रहे कुमार ने वर्ष 1990 में लालू प्रसाद यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह 1985 में हरनौथ विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक चुने गए। इसके बाद वह सांसद चुने गए। वह वर्ष 1989 में पहली बार बाढ़ संसदीय सीट से चुनाव लड़े। इसके बाद वह वर्ष 1996, 1998 और 1999 में लगातार लोकसभा चुनाव जीते। वर्ष 1998 में वह रेल मंत्री और 1999 में कृषि मंत्री बने।
आठ अन्य ने कैबिनेट मंत्री के तौर पर ली शपथ
जनता दल यूनाइटेड के नेता नीतीश कुमार ने रविवार को नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर और भारतीय जनता पार्टी के सम्राट चौधरी एवं विजय सिन्हा समेत छह अन्य ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली।
राजभवन में आयोजित समारोह में बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने नीतीश कुमार के बाद भाजपा के सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा, जदयू के विजय चौधरी, विजेंद्र यादव, श्रवण कुमार, भाजपा के ही प्रेम कुमार, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संतोष कुमार सुमन और निर्दलीय सुमित कुमार सिंह को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलाई। इस मौके पर भाजपा समर्थकों ने जय श्रीराम और मोदी मोदी के नारे लगाए। वहीं, हम के समर्थकों ने जय भीम तथा जदयू समर्थकों ने नीतीश कुमार के पक्ष पर नारा लगाया।
शपथ ग्रहण समारोह में बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस, हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान, जदयू सांसद ललन सिंह, भाजपा नेता मंगल पांडे और राजीव प्रताप रूडी समेत कई अन्य गणमान्य लोग शामिल थे।