राजीव नगर ही नहीं इसमें भी आचार संहिता का उठाया फायदा, मिला इनाम

सांचौर नगर निकाय में पोस्टिंग का आदेश।
सांचौर नगर निकाय में पोस्टिंग का आदेश।

सबगुरु न्युज -सिरोही। आचार संहिता में जब पूरा सिस्टम चुनाव की तैयारी में लगा हुआ था। नेता और अधिकारी सब अपने अपने कामों में लगे थे, इसी दौरान सिरोही नगर परिषद में राजीव नगर आवासीय योजना के साथ ये कई ऐसे काम हो गए जो लंबे समय से इसलिए नहीं किए जा रहे थे कि इससे नगर परिषद को नुकसान होगा। जिस आयुक्त के कार्यकाल में ये सब हुआ चुनाव के बाद सरकार बदली तो आचार्य को इनाम में फिर से प्रमुख पोस्ट दे दी गई।
– इनके भी जमा हुए थे पैसे
आचार संहिता के दौरान चुनाव के 3- 4 दिन पहले जब पूरी मशीनरी के चुनाव में व्यस्त थी उसी दौरान 21 नवंबर को राजीव नगर आवासीय योजना के अलावा खसरा नंबर 428 की 485.50 वर्ग मीटर जमीन और बैधनाथ कॉलोनी की एक जमीन के भी पैसे आरटीजीएस से जमा हो गए। विधानसभा 24 नवंबर को मतदान के एक दिन पहले बैधनाथ कॉलोनी की जमीन के लिए 16 लाख 47 हजार 928 रूपए आरटीजीएस से जमा हुए।

इसी तरह खसरा नंबर 428 की 585.50 वर्ग मीटर जमीन के पेटे 28 नवंबर को आरटीजीएस से नगर परिषद के खाते में जमा हुई। ये मामला सामने आने पर सभापति ने इस राशि को जमा करवाने वाले राजेंद्र गांधी को पत्र लिखकर इन दोनो जमीनों के नियमन योग्य नहीं होने पर इसे फोरफिट करने का पत्र जारी कर दिया। सभापति के पत्र के अनुसार ये जमीनें भी नियमन की श्रेणी में नहीं आ रही थी।
– मंत्री भी नहीं करवा पाए कार्रवाई
राजीव नगर आवासीय योजना और अन्य जमीनों को का मूल धन जमा करने का खुलासा 8 महीने पहले ही हो गया। सरकार बदली इसके बाद भी सिरोही के विधायक और मंत्री ओटाराम देवासी इस दौरान के आयुक्त पर कोई कार्रवाई करवा पाए। भाजपा नेता इन्हे नहीं हटाने दबाव भी बनाते रहे। इन आठ महीनों में राजीव नगर आवासीय योजना को लेकर अग्रिम निर्णय भी नहीं ले पाए। यही नहीं इस काम के दौरान नगर परिषद आयुक्त योगेश आचार्य एपीओ होकर फिर से मुख्य पोस्ट पर लग गए।
– भजनलाल सरकार की जीरो टॉलरेंस का उदाहरण
भजनलाल सरकार के भ्रष्टाचार के लिए जीरो टॉलरेंस के दावे की पोल सिरोही के प्रकरण से खुल रही है। चुनाव के बाद भाजपा नेता योगेश आचार्य को सिरोही में ही रखने के लिए मंत्री ओटाराम देवासी और यहां तक कि मुख्य्मंत्री ज्ञापन बाजी करते रहे।
चुनाव के बाद आचार्य कुछ समय तक सिरोही नगर परिषद में रहे। बाद में इनसे कार्यवाहक आयुक्त का अधिकार ले लिया गया। इसके बाद ये एपीओ कर दिए गए। लेकिन, 28 जून 2024 को अचार्य को सांचौर में सहायक प्रशासनिक अधिकारी के पद पर स्थानांतरित कर दिया गया और उसी आदेश में 15 दिन तक आयुक्त का पदभार भी सौंप दिया गया। इस आदेश के अनुसार राजस्थान उच्च न्यायालय में सिविल रिट 2185/2021 के अनुसार ये आदेश सिर्फ 15 दिन के लिए ही मान्य था।