अजमेर मण्डल मे अजमेर, आबूरोड व उदयपुर स्टेशनों पर सुविधा शुरू
अजमेर। रेलवे बोर्ड और उत्तर पश्चिम रेलवे मुख्यालय के आदेशो के अंतर्गत सामान्य श्रेणी के डिब्बों के यात्रियों को किफायती भोजन (इकोनोमी मील) आसानी से उपलब्ध कराने हेतु अजमेर मण्डल के अजमेर, आबूरोड व उदयपुर स्टेशनों पर व्यवस्था की गई है।
इस व्यवस्था के अंतर्गत इन स्टेशनों के प्लेटफॉर्म 1 पर गाड़ी के सामान्य श्रेणी कोचों के रुकने के स्थान को चिन्हित कर वहां काउन्टर/स्टॉल की स्थापना की गई है ताकि इस श्रेणी के रेल यात्रियों को किफायती भोजन (इकोनोमी मील) आसानी से उपलब्ध हो सके। अजमेर स्टेशन पर मदार स्टेशन छोर तथा दौराई स्टेशन छोर की ओर प्लेटफार्म नंबर एक पर जहां गाड़ी के सामान्य श्रेणी कोच आकर रुकते है वहां इकोनामी मिल स्टॉल स्थापित की गई है।
इसी प्रकार आबू रोड स्टेशन पर प्लेटफार्म नंबर एक पर अहमदाबाद छोर तथा अजमेर छोर पर जहां गाड़ी के सामान्य कोच रुकते हैं वहां इकोनामी मील के लिए स्टॉल लगाई गई है। इसी प्रकार उदयपुर स्टेशन पर प्लेटफार्म नंबर एक पर राणा प्रताप नगर छोर तथा हिम्मतनगर छोर पर जहां गाड़ी के सामान्य श्रेणी के कोच रुकते हैं वहां इकोनामी मिल स्टॉल स्थापित की गई है।
वरिष्ठ मण्डल वाणिज्य प्रबंधक सुनील कुमार महला के अनुसार लंबी दूरी में सफर कर रहे सामान्य श्रेणी कोच के यात्रियों की परेशानी को देखते हुए रेलवे प्रशासन द्वारा सामान्य श्रेणी कोच के सामने ही सस्ता खाना (इकोनोमी मील) उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है ताकि भीड़ भाड़ की स्थिति मे सामान्य श्रेणी के यात्री आसानी से खाना ले सके। इससे यात्रियों को गाड़ी छूटने का भय नहीं रहेगा, प्लेटफॉर्म पर खाना लेने की वजह से हड़बड़ाहट मे ट्रेन मे चढ़ते व उतरते समय होने वाली रेल दुर्घटनाओं पर भी अंकुश लगेगा।
रेलवे बोर्ड द्वारा हाल ही मे सामान्य श्रेणी के कोचों के यात्रियों के किफायती भोजन की पर्याप्त सुविधा की उपलब्धता सुनिश्चित करने की दृष्टि से समीक्षा की गई और यह निर्णय लिया गया की जनरल कोचों में किफायती भोजन की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्टेशन के प्लेटफॉर्म जहां ट्रेन के सामान्य कोच के डिब्बे आकार रुके वहां किफायती खाना (इकोनोमी मील) के काउंटर लगाए जाए।
काउंटरों का उपयोग अधिकृत प्लेटफ़ॉर्म विक्रेताओं द्वारा किया जाएगा जिन्हें प्लेटफ़ॉर्म वेंडिंग की मौजूदा नीति के तहत इकोनॉमी भोजन बिक्री के लिए अनुमति दी गई है। फिलहाल यह योजना 6 महीने की अवधि के लिए प्रयोगात्मक आधार पर लागू की गई है जिसे सफल होने पर आगे बढ़ाया भी जा सकता है।